विधा ◆कुबलयमाला छंद◆
विधान~
[ मगण नगण यगण+गुरु]
(222 111 122 2)
10वर्ण,4 चरण,
दो-दो चरण समतुकांत]
शंभू का धनुष पुराना है।
मैंने ये प्रण मन ठाना है।।
राजाओं धनुष उठाओ तो।
मेरा ये वचन निभाओ तो।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
विधा ◆कुबलयमाला छंद◆
विधान~
[ मगण नगण यगण+गुरु]
(222 111 122 2)
10वर्ण,4 चरण,
दो-दो चरण समतुकांत]
नेता का करम सुहाना था।
फौजों का भरम बहाना था।।
आजादी सरल दिलाना था।
संग्रामी लहर चलाना था।।
आजादी कसम निभाना था।
अंग्रेजी चरम हटाना था।।
राहों को सफल बनाया था।
झण्डा जो फिर लहराया था।।
नेता का सफर सुहाना था।
बागी का कफन ठिकाना था।।
फौजों से सरल बनायी थी।।
आजादी सुगम दिलायी थी।।
पूजे भारत जयकारा हो।
तेरा ही नमन सहारा हो।।
आजादी बिगुल सुनाई दें।
सारे वीर जन दिखाई दें।
✍ पत्रांक - 1 साहित्य संगम द्वारा भेजा जाने वाला पत्र 👇
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
सेवा में,
माननीय नरेन्द्र दामोदर दास मोदी,
प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली
सत्प्रवृत्ति के सम्वर्द्धन एवं समाज में वैचारिक क्रान्ति द्वारा आधुनिक हिन्दी साहित्य में इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को अत्याधुनिक सरल व लघु सत् साहित्य प्रदान करने के उद्देश्य पर कार्यरत *साहित्य संगम संस्थान* की साझा पुस्तक *एक पृष्ठ मेरा भी* का विमोचन कार्यक्रम आर्य महासम्मेलन, इन्द्रप्रस्थ विस्तार, नई दिल्ली में 28 जनवरी 2017 को किया जा रहा है।
साझा संकलन में भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 34 साहित्यकारों ने अपने अथाह रचना संकलन से सामाजिक राष्ट्रीय व प्रेरक विषयों से सम्बन्धित रचनाओं को संकलित कर साझा पुस्तक *एक पृष्ठ मेरा भी* का प्रकाशन किया है।
अतः आपसे निवेदन है कि हमें साझा पुस्तक *एक पृष्ठ मेरा भी* के प्रकाशन, विमोचन और भविष्य में साहित्य क्षेत्र में प्रगति व विकास के लिए आशीर्वाद तथा शुभकामना प्रदान करें।
आपकी बधाई व शुभकामना के शुभेच्छु।
अध्यक्ष
साहित्य संगम
एवं साहित्य संगम परिवार
पत्रांक - 2 कार्यालय द्वारा साहित्य संगम को दिया जाने वाला बधाई पत्र👇👇🙏🏻
सेवा में,
अध्यक्ष साहित्य संगम
साहित्य संगम की साझा पुस्तक *एक पृष्ठ मेरा भी* हमें प्राप्त हुई।
साहित्य संगम परिवार को साझा पुस्तक *एक पृष्ठ मेरा भी* के प्रकाशन व विमोचन हेतु हृदयस्थ बधाई व शुभकामनाये देते हुए समाज के दर्पण सत्साहित्य द्वारा सामाजिक विकास के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।
धन्यवाद
प्रधानमंत्री कार्यालय
नई दिल्ली
हर दिन विकास की राह मिलें,
हर दिन जीत की चाह मिलें,
जीवन हो शुद्ध सरल समृद्ध,
कौशल प्रतिभा से वाह मिलें,
मन चाहा सुख संसार मिलें,
यश कीर्ति सद् विचार मिलें,
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
मत्तगयन्द - सवैया छंद }
(7भगण+2गुरु,यति-12/11)
लाजत लाजत लाज मिटे प्रिय,
कौन यहां सन मान जतावै।
साथिन हाथ छुटात मिले तब,
लोकहुँ लाज बहूत सतावै।।
गावत गावत भैरव राग कु,
मोर हिया तुमरो गुण गावै।
प्रेयसि साथ सदैव मिल यदि,
"आस"सुहास बडो़ मन पावै।।
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
*कौशल कुमार पाण्डेय आस*
🐾🐾🐾🐾🐾🐾🐾
मत्तगयन्द-सवैया *
शिल्प~[७ भगण+२गुरू/१२,११ पर यति]
शेष दिनेश सुरेश जपें नित,
शारद गावत गावत हारी।
वेद पुराण भरें जिनके यश,
संत अनंत भजें सुखकारी।।
देख रहे सचराचर ही सब,
केवल आस जगाय तिहारी।
"सोम"ललाट सजे जिनके वह,
देवन के अधिदेव पुरारी।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
मिसरे की पेशकश कुछ इस तरह से ही
÷ मिसरा ÷ 'मैं किसी दर पे कभी मांगने जाता ही नहीं '
[ 2122 1122 1122 22 - 112 ]
÷ [ काफ़िया..÷..'जाता' [ 'आ' स्वर ]÷
÷ [ रदीफ़....÷....'ही नहीं'
÷ क्वाफी ÷ उजाला, बताया, मिटाता, दिवाना, अधूरा, जलवा, पहला, उल्टा, अपना, उसका, करता, समझा, अच्छा, मीठा, जैसा, खाया, पूरा, मेरा, जैसा, सीधा, साया, आता, देखा, मेरा, आदि इसी प्रकार के अन्य
[ फ़िल्मी गीत..
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1. :- आपकी मद भरी आँखों को कँवल कहते हैं
2. :- तेरी तस्वीर को सीने से लगा रख्खा है
3. :- प्यार झूठ सही दुनियाँ को दिखाने आ जा
4 :- रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ
5 :- दिल की आवाज़ भी सुन मेरे फ़साने
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