🙏🏻वर्तमान हिन्दी सिनेमा🙏🏻
सकारात्मक सोच के साथ पारिवारिक, ऐतिहासिक और सामाजिक मुद्दों से सम्बंधित फिचर फिल्मों से भरे हुये वर्तमान भारतीय सिनेमा में बहुत कुछ समझने सोचने व अमल करने योग्य है ये हमारी नजर सोच और विचार है कि हम क्या देखना चाहते हैं और क्या सोचते हैं।
हा ये जरुर गौरतलब है कि सिनेमा में प्रस्तुत गीतों के चलचित्र बड़े भद्दे और गीतों, गानों के शब्द बड़े ओछे द्विभाषी और फूहड़ लगते हैं। गीतों में सुधार अपेक्षित हैं। मानसिकता व सामाजिक घटनाओं का असर सोच पर पड़ता है इसीलिए सिनेमा फिल्म के निर्माता, निर्देशक भी वही दिखाना चाहता है जो समाज में चल रहा और लोग जो देखना चाहते हैं। सामाजिक सुधार आदर्शवादी दृष्टिकोण तथा सांस्कृतिक विचारधारा से सम्बंधित विषयों पर भी फिल्म बनायी जा सकती है।
महाकाल की वेला में परिवर्तनकारी सोच लानी होगी।
पूंजीवादी समाज में थोड़ा व्यवसायीकरण से अलग हटकर भी सोचना पड़ेगा यदि सिनेमा फिल्म, साहित्य और मीडिया के द्वारा समाज में बदलाव चाहते हैं, लोगों की सोच बदलना चाहते हैं या भटकती पीढ़ी को आप सुविचार देना चाहते हैं तो वर्तमान सिनेमा और सभी प्रकार के मीडिया को अपना कलेवर बदलना होगा। कुछ सकारात्मक सुन्दर सर्वहिताय सर्व ग्राह्य आदर्श वैचारिक क्रान्ति द्वारा राष्ट्र हित लिखना फिल्में बनाना और परोसना होगा।
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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