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आह्वान
आह्लादित करने आया हूँ,
आह्वान गीत सुनाता हूँ,
गहन नींद से नवयुवा को,
आज जगाने आया हूँ।
रोती हुई वसुंधरा की,
पीर सुनाने आया हूँ,
रोती हुई नैतिकता का,
धीर बताने आया हूँ।
कवियों के स्वागत में,
आह्वान गीत बनाता हूँ,
सकल लेख हो हितकर,
मधुर संगीत सुनाता हूँ।
नारी के सदा मान की
रीत बनाने आया हूँ,
वृद्धों के सदा मान की
जगरीत बनाने आया हूँ।
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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