ओ३म् नमस्ते ओ३म्
विनय
चित्र इच्छिशोस्तरुणस्य लक्ष्यों न तो
मातरावन्वेति धातवे।
अनूधा यदजीजनधा चिदा ववक्षत्सद्यो
महिदूत्यां३ चरन्। साम-१/१/२/२/२
पद्यानुवाद
यदि रहना खुशहाल।
करना जीवन की पड़ताल।।
जब घर में शिशु काआना हो
शिशु शिक्षण की विधि नाना हो
व्यर्थ न जाने देना जीवन
का यह स्वर्णिम काल।करना-------
जब तरुणाई रूप दिखाए
भव तरने की रीति सिखाए
जीवन रणमें मिले सफलता
दीजे असिऔर ढाल।करना----------
पालन पोषण की क्षमता हो
उदर किसी का भर सकता हो
माता और पिता की करने
वाला हो प्रतिपाल।करना-------------
द्वार सभी के लिए खोलना
सत्पात्रो का उर टटोलना
निज अनुभव की निधियां सारी
तू हंस कर दे डाल।करना------------
वेद ज्ञान घर-घर पहुंचाना
ऐसा व्रत साथी अपनाना
तेज ओज से चमक उठेगा
निर्मल तेरा भाल।करना------ -----------
जागेश्वर प्रसाद''निर्मल''
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