🌼🙏🕉 नित्य नमन 🕉🙏🌼
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
हे हरि हरिजन हार ह्वै, कंठ कूकते काय |
रहो रमे रासभ रजुअ, आपु आपुने आय ||
🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂
आज रौ दुस्साहस~
म्है म्हांकी मायड़ मरां, मायड़ म्हांके नेह |
पूत प्रेमलो भाव यौ, देख मेघ रौ मेह ||
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
मानव दोष सदा ही रहते, बालाजी |
हरि सब ही दोषों को सहते, बालाजी |
पर जब उल्लंघित हो जाती मर्यादा,
करते वध प्रभु कुछ नहि कहते, बालाजी ||
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
©भगत
Comments
Post a Comment