वो इश्क में मशहूर हुए उनका मुकाम था,
हम इश्क में बदनाम हुए हमारा अंजाम था,
बदला बेवफाई का लिया मोहब्बत से,
किया सबसे प्रेम ये हमारा इंतकाम था ।
वो रातें बेचैन थी ,
वो यादें जहान थी ,
हम थे अकेले,
पर वो अन्जान थी ।
वो मोहब्बत के दिवानें के जोश थे,
हम हुस्न के मंजर में मदहोश थे,
तेरी यादों को जिन्दगी बना ली,
दिवानगी में उड़ गये हमारे होश थे ।
मोहब्बत को दिल का जोश बना लेगें ,
दिल में इश्क की ज्योति जला लेगें ,
वो दीन दुखी जो है बिन आशियाने के ,
उन अन्जानों को भी गले लगा लेगें ।
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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