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मन पर तमाचा

     मन पर  तमाचा

देखता हूँ राजव्यवस्था
मन पर तमाचा पड़ता है,

सुनता हूँ नारी चित्कार
ज़हन पर तमाचा पड़ता है,

देखी जब गरीबी की मार
गहन तमाचा पड़ता है,

बिन भोजन मरने की खबर
घनघोर तमाचा पड़ता है,

वृद्धों की सुन करुण पुकार
पूतों का तमाचा लगता है,

नेताओं की सुन कर बात
सोच विचार दहलता है, 

  गंदे फूहड़ गीतों को सुन
सुर ताल पे तमाचा पड़ता है,

गन्दे चित्रों के प्रचार से
राष्ट्र पर तमाचा पड़ता है,

सर्वोपरि है संस्कृति राष्ट्र धर्म
सबको समझाना पड़ता है,

सोयी आत्मा को झकझोर
सबको जगाना पड़ता है,  

मान आचरण विचार का
भान जगाना पड़ता है।। 

✍   डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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