Skip to main content

गंगा

   ॐ卐  गंगा  卐ॐ

अब गंगा स्वच्छ बनाऐंगे|
हम  संगम पर्व  मनाऐंगे||
है  प्रयाग की  पावन गंगा|
दान पुण्य में मन है रंगा ||

पतित पावन त्रिपथगामिनी|
माँ गंगा  सुख  मोददायिनी||
जन जन में शुचि नेह जगाए|
तन मन में सहकार जगाए||

गोमुख  की  गंगोत्री  गंगा|
अमृत सलिल है तरण तरंगा||
भूमि  उर्वरा  मृदा  बनाए|
गंगा  हिय  में प्रेम जगाए||

मैया को आज वचन देके|
फूल  चढ़ावा  बाहर  फेकें||
पावन  पीयूष  माया  हरे|
गंगा जल सबको अमर करे||

सब  पापों  को काटै  गंगा|
रोग व्याधि भी हरती गंगा||
अब  गंगा  स्वच्छ बनाऐंगे|
हम  संगम पर्व  मनाऐंगे||

✍  डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...