अपराजिता
सोचने वाले सोच रहे हैं,
हमको जीत न पाएँगे,
जिनको जन्म दिया है हमने,
हमें मिटा न पाएँगें|
सतत सकल परिश्रम से,
परिवार को रोटी मिलती है,
हर नारी निज जीवन में
सारे कष्टों को सहती है|
माता का दूध पिया हमने,
फिर क्यूँ अबला कहते हो,
नही पराजित होती वो,
अपराजिता कहलाती है|
ममता समता स्नेह प्रेम से,
पुरुषों का पालन करती है,
पुत्र पति या पिता पुरुष की
जग मान प्रतिष्ठा रखती है|
© डॉ० राहुल शुक्ल साहिल
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