Skip to main content

वानप्रस्थ

      वानप्रस्थ/संसार

मनहरण घनाक्षरी  (क्र ० - ३१५)

--------------------------------------
सीखो नित नव ज्ञान, बाल युवापन जान,
सीखो नित नव ज्ञान, आश्रम गृहस्थ नव, सृजन कराता है।।

त्याग गति ये आघूर्ण, हुए सारे कार्य पूर्ण।
वानप्रस्थ जीवन की, श्रेष्ठता जताता है।।

मुक्त काल आस-पास, तजो परिवार"आस"।
ले लो सन्यास अब ये,मुक्ति दिलवाता है।।

आश्रमों का व्यवहार, माना है संसार सार।
पूर्वजों का ये विचार, उच्च गति दाता है।।
--------------------------------------
कौशल कुमार पाण्डेय "आस"
दिनांक~ ०७ - ०३ - २०१८।।
--------------------------------------

      वानप्रस्थ 🚶‍♂

शिक्षा और संस्कार सिखाते मानव को  कर्म,
सकल भाव  से सेवा  ही  सच्चा  मानव  धर्म,
बचपन व किशोर अवस्था दिखलाती है ओज,
प्रौढ़ अवस्था के अनुभव का वानप्रस्थ है मर्म|

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...