बालिका शिक्षा
परिवर्तन शील समाज में बालकों के साथ - साथ बालिकाओं की शिक्षा पर भी ध्यानाकर्षण अति आवश्यक है|
ये बालिकाएँ ही हमारे परिवार की आधार बनती हैं| परिणय सूत्र में बँधकर वात्सल्य सुख को प्राप्त करती हैं, माताएं ही बच्चों को संस्कार शिक्षा एवं नैतिकता का पाठ पढ़ाती हैं| शिशु को कुम्हार के घड़े की तरह सत्प्रवृत्तियों से पकाकर बनाती है, सुन्दर सुखद बनाती है, प्रेम प्यार बरसाती है
जीवन को सफल बनाती हैं|
यही समझना जरुरी है
महिला शिक्षा भी जरुरी है
बेटी बढ़ाओ बेटी पढ़ाओ
इस समाज को सुगढ़ बनाओ
बेटा - बेटी एक समान
नर और नारी एक समान
समाज से ये मानसिकता समाप्त हो जानी चाहिए कि केवल बेटों या लड़कों को ही पढ़ाना चाहिए| बेटी को पढ़ाने की पहल में सरकारी योजनाओं का सहयोग भी मिल रहा है, जरुरत है केवल जागरूकता की|
बेटी को पढ़ाएगें, नारी को बढ़ाएगें|
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
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