Skip to main content

मानस छन्द

   🚩मानस छंद🚩

विधान~
[नगण यगण भगण सगण]
(111  122  211 112)
12 वर्ण,यति 6,6 वर्णों पर
4 चरण,दो-दो चरण समतुकांत

          संत सोम
पद रज ध्याऊँ, संत गुरु कहूँ|
हरपल मैं तो,  सोम  रत रहूँ||
मुद मन मेरा,  छंद मय हुआ|
जग तम भागा, दूर भय हुआ||

अचरज कैसा, सोम गुरु कहो|
जन जन सारे, संत  गुन गहो||
मिल कर गाएं, गीत  सुनहरा|
हम नित पाएं, जीवन  गहरा||

अति प्रिय भाए, सोम सरलता|
तन हिय  धारौ, ये  समरसता||
सुखद  सहारा, नैनन  भर लो|
गुरुवर का  ही, वंदन कर लो||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...