Skip to main content

कलाधर छन्द (चाहतें)

🚺  कलाधर छंद  🚺
विधान---गुरु लघु की पंद्रह आवृति और एक गुरु।
अर्थात 2 1×15 तत्पश्चात एक गुरु।
इस प्रकार 31 वर्ण प्रति चरण

             चाहतें
प्रेम याद बातचीत प्रीत का स्वभाव गीत,
बीत जाय रंज रैन मेल तो कराइए|
हाल चाल रंग ढंग बोल मोर खोय खोय,
गोल गोल नैन मोल राग भी जगाइए|
लाल गाल लाल ओंठ चाह की दिखे बयार,
फूल हार मान गान प्यार  से मनाइए|
बंद छन्द रोम रोम दिव्य शब्द हो पुकार,
नेक राह रीत शीत चाहतें निभाइए| 

   © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

Comments

Popular posts from this blog

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...