भोला बचपन (लघु कथा)
🏃🏻🏃🏻👦🏻 ✏
अंश (६ वर्ष का पुत्र) भागते हुए आया और बोला,
पापा मेरे लिए पेन्सिल लेते आइएगा,
मैने आश्चर्य से घूरते हुए पूछा,
जो दो दिन पहले मैं एक दर्जन पेन्सिल लाया था वो कहाँ गई,
वो तो खत्म हो गई ! अंश ने बताया,
मेरी तो आँखे ही बाहर निकल आयी,
बड़े गुस्से में मैने पूछा कि
पेन्सिल का क्या करते हो
लिखते हो, या खाते हो,
तभी कमरे में अंश की मम्मी
कान्तिप्रभा जी का प्रवेश हुआ,
उन्होनें बताया कि अंश ने अपने कक्षा के सभी बच्चों को जिनकी पेन्सिल छोटी थी,
उन सबको अपनी सारी पेन्सिल बाँट दिया !
ज्यादा पूछने पर पता चला कि
ऐसा अंश कई बार कर चुका है,
कुछ हरकतें भी सुहानी लगती है,
बच्चों के भोलेपन में भी कभी - कभी उपकार छुपा होता है |
© डॉ० राहुल शुक्ल साहिल
Comments
Post a Comment