चोट

चोट

चोट खायी मैने समझ भी न पाया,
तुमसे क्यूँ नाता दिलों का लगाया|
टूट गया पूरा  सँभल भी न पाया,
पत्थर के दिल को गले से लगाया|

बाते  बनाना  दिलों  को  लुभाना,
आता है उनको गजब का बहाना|
मन के तराने को आया न जताना,
मुश्किल बड़ा है वफा का फसाना|

चोट खायी मैने समझ भी न पाया,
तुमसे क्यूँ नाता दिलों का लगाया|
प्रेम भाव मन में प्रभु की है माया,
स्नेह को जगाकर परम सुख पाया|

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

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