विधा◆ डमरू घनाक्षरी ◆ शिल्प~8,8,8,8 लघु वर्ण प्रति चरण 【बिना मात्रा के प्रति चरण 32 वर्ण,】 4चरण समतुकांत। चल अब झटपट मटकत भटकत, तन मन तड़पत, सजन सनम गम। जन भल कर हल, मचलत पल पल, टहलत द...
जितना भी चाहता हूं, सब मिल ही जाता है, अब दुख किस बात का ॽ