Skip to main content

दीप छंद 'साहिल'

    🌻 दीप छंद 🌻
शिल्प~ प्रति चरण 10 मात्राएँ ,
परन्तु अंतिम पाँच मात्राएँ क्रमशः
नगण गुरु लघु(11121),
चार चरण समतुकांत।

गुरु के वचन भाय|
जीवन सुधर जाय||
गुरु का सुगढ़ ज्ञान|
भज लो परम मान||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

    🌻 दीप छंद 🌻
शिल्प~ प्रति चरण 10 मात्राएँ ,
परन्तु अंतिम पाँच मात्राएँ क्रमशः
नगण गुरु लघु(11121),
चार चरण समतुकांत।

साहिल  सरस   नेह|
वार  दूँ  सकल  देह||
जय जय जयति बोल|
गुणिजन सुमति मोल||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

      🌻 दीप छंद 🌻

शिल्प~ प्रति चरण 10 मात्राएँ ,
परन्तु अंतिम पाँच मात्राएँ क्रमशः
नगण गुरु लघु(11121),
चार चरण समतुकांत।

बजते  धमक  ढ़ोल|
नाचत  सरस  गोल||
साहिल सरस  मोल||
जय जय जयति बोल|

कह  दूँ  नमन  ओम|
जय-जय जयति सोम|
गुंजन  सकल  व्योम|
चाहत   हृदय   रोम|| 

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

       दीप छंद
शिल्प~ प्रति चरण 10 मात्राएँ ,
परन्तु अंतिम पाँच मात्राएँ क्रमशः
नगण गुरु लघु(11121),
चार चरण समतुकांत।

गुरु का वचन ज्ञान |
जीवन सरल भान||
गुरु का सकल मान|
भज लो नमन गान||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

Comments

  1. अत्त्युत्तम भावाभिव्यक्ति.....

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...