Skip to main content

दिलीप कुमार पाठक सरस जी की अद्भुत समीक्षा

दैनिक समीक्षा के क्रम में~
दिनांक~ 4/08/2018,शनिवार

आज जय जय हिन्दी पर सर्वप्रथम अनुशासन प्रमुख प्रिय अनुज भावना प्रवीण सिंह जी की उपस्थिति पूर्व दिवस की गतिविधि को जोड़ते हुए हुई, ऐसा लगा कि घर में छापा पड़ गया है |
आ0 नवीन दादाश्री के सुप्रभात ने आँखें खोल दीं, अनुज राकेश राज पार्थ जी की वंदना के स्वर गूँजते नजर आये|
आ0 इन्दु दीदी के भक्तिमय दोहों की बरसात का फुहार का क्या कहना|आ0.ममता जी का स्वागत अभिनंदन अभिवादन सो जय जय हिन्दी गौरवान्वित हुआ|प्रिय अनुज शीतल बोपचे जी का सुप्रभात संदेश ऊर्जा भर रहा है |आज का विचार आ0 एस के कपूर दादाश्री थोड़ी देरी से लाये, समयपालना पर ध्यान रहता तो हम सब भी कुछ सीखते|
विषय काल में आ0 नवीन तिवारी दादाश्री की पहली रचना आलेख के रूप में प्राप्त हुई, टंकण त्रुटियों के होने पर भी एक सार्थक रचना, जिसकी बहुत बहुत हार्दिक बधाई |एक बार पढ़कर देखे👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻🌹
आ0 कौशल कुमार पाण्डेय आस दादाश्री की प्रतिक्रिया ऊर्जा देतीं मिलीं👍🏻🌹
आ0 डॉ0 लियाकत अली जलज दा ने आज शायद कार्यक्रम न देखा, मुक्तक को रूप में टूट पड़े, सुन्दर मुक्तक बधाई, यही भाव लेख में मिलते तो बात बन जाती, कार्यक्रम का अवलोकन अवश्य करें |👍🏻🌹
डॉ..  साहिल दा की प्रतिक्रिया और आ0.मुस्कान दीदी का पुनः कार्यक्रम पोस्ट करना परिश्रम का बखान कर रहा है |👍🏻🌹
प्रिय अनुज नीतेन्द्र जी आप से ऐसा अन्धानुकरण करने की कतई उम्मीद नहीं है, विषयकाल का विषय और विधा के ध्यान में रखकर ही लिखा करें👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻🌹वैसे मुक्तक अति प्यारा है|प्रतिक्रिया को सार्थक व्यवस्था दें🌹🙏🏻🌹
आ0 अमन दा के लेख सार्थक होते हैं अगले शनिवार को पढ़कर देखिए, निश्चित मिलेगा👍🏻🌹आज आपने भी कार्यक्रम का समुचित अवलोकन न किया, शिकायत है, अब किया करेंगे|👍🏻🌹
आ0 मुस्कान दीदी की प्रतिक्रिया आ0 इन्दु दीदी को बुला ही लायी,सुन्दर संक्षिप्त पर सारगर्भित आलेख पढ़ने को मिला, 👍🏻🌹
आ0 शिवानंद बंजारा जी का आलेख कवियों की सार्थकता को सिद्ध करता नजर आया कि प्रखर द्विवेदी जी बिना कार्यक्रम को देखे पद्य रचना लेकर दौड़े चले आये |हालाकि भाव सुन्दर हैं, पर लेख होता तो वाह्हह्हह्ह वाह्हह्हह्ह ही और होती|👍🏻🌹
सरस जी के आलेख में टंकण त्रुटि देखी गयीं, जो पढ़ने पर आप भी पायेंगे|

पीछे पीछे साहिल दा भी आत्मकथात्मक संस्मरण लेकर समरभूमि में कूद ही पड़े, आलेख में आपकी सहजता सरसता और सरलता के दिग्दर्शन, बधाई हो 👍🏻🌹
साहिल दा की प्रतिक्रिया से मैं कृतार्थ हुआ, मम लेखनी धन्य हुई|🌹🙏🏻🌹
आ0 रविरश्मि अनुभूति दीदी के आलेख में आपको बहुत कुछ पढने को मिलेगा, भाषा की सजीवता, स्पष्टता, सरलता, के गुण मिलेंगे|बधाई स्वीकार करें 🌹👍🏻🙏🏻
मुक्तकाल में साहिल दा की तारा छंद रचना वाह्हह्हह्ह वाह्हह्हह्ह 👍🏻🌹
नवीन दा और अमन दा को नमन
भूलवश यदि किसी साथी का नाम छूट जाए तो सक्रिय होने की आवश्यकता है |
🌹🙏🏻🌹

समीक्षा कार्य समाप्त |
जय जय
🌹🙏🏻🌹
🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊
दिलीप कुमार पाठक "सरस"

Comments

  1. दिग्दर्शन दूरदर्शन रस दर्शन,
    😅🙏🎊💐
    शानदार समीक्षा समालोचना एवं अनुशासन की सीख सहित,
    ऐसी अद्भुत अविस्मरणीय उत्कृष्ट अनुपम अप्रतिम बेहतरीन समीक्षा जनचेतना समिति के सचिव साहब ही प्रस्तुत कर सकते हैं|
    साहब सरस जी को उत्कृष्ट समीक्षा सर्जन के लिए कोटि कोटि बधाई|
    ऐसी अभिव्यक्तियों से कलमकारों में अनुशासन बना रहेगा और जय जय हिन्दी समूह का वर्चस्व बना रहेगा|
    पुनः आ० दिलीप कुमार पाठक 'सरस' जी को डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल' की ओर से आत्मिक बधाई एवं शुभकामनाएँ|
    🙏🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🙏

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही है ५. ओष्ठ~ ये जानते ही हैं   ६. कंठतालु~ कंठ व तालु एक साथ ७. कंठौष्ठ~ कंठ व ओष्ठ ८. दन्तौष्ठ ~ दाँत व ओष्ठ अब क्रमश: ~ १. कंठ ~ अ-आ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ङ), अ: (विसर्ग) , ह = कुल ९ (नौ) वर्ण कंठ से बोले जाते हैं | २. तालु ~ इ-ई, च वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ) य, श = ९ (नौ) वर्ण ३. मूर्धा ~ ऋ, ट वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण), र , ष =८ (आठ) वर्ण ४. दन्त ~ त वर्ग (त, थ, द, ध, न) ल, स = ७ (सात) वर्ण ५. ओष्ठ ~ उ-ऊ, प वर्ग (प, फ, ब, भ, म)  =७ (सात) वर्ण ६. कंठतालु ~ ए-ऐ = २ (दो) वर्ण ७. कंठौष्ठ ~ ओ-औ = २ (दो) वर्ण ८. दंतौष्ठ ~ व = १ (एक) वर्ण इस प्रकार ये (४५) पैंतालीस वर्ण हुए ~ कंठ -९+ तालु-९+मूर्धा-८, दन्त-७+ओष्ठ-७+ कंठतालु-२+कंठौष्ठ-२+दंतौष्ठ-१= ४५ (पैंतालीस) और सभी वर्गों (क, च, ट, त, प की लाईन) के पंचम वर्ण तो ऊपर की गणना में आ गए और *ये ही पंचम हल् (आधे) होने पर👇* नासिका\अनुस्वार वर्ण ~

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैसा खुले। उदाहरण  - *आ* ४. *अर्ध विवृत्त* - मुँह गोलाकार से कुछ कम खुले। उदाहरण - अ, ऐ,औ     🙏🏻 जय जय 🙏🏻 [20/03 23:13] अंजलि शीलू: *वर्ण माला कुल वर्ण = 52* *स्वर = 13* अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अब *व्यंजन = 37*         *मूल व्यंजन = 33* *(1) वर्गीय या स्पर्श वर्ण व्यंजन -*    क ख ग घ ङ    च छ ज झ ञ    ट ठ ड ढ ण    त थ द ध न    प फ ब भ म      *25* *(2) अन्तस्थ व्यंजन-*      य, र,  ल,  व  =  4 *(3) ऊष्म व्यंजन-*      श, ष, स, ह =  4   *(4) संयुक्त व्यंजन-*         क्ष, त्र, ज्ञ, श्र = 4 कुल व्यंजन  = 37    *(5) उक्षिप्त/ ताड़नजात-*         ड़,  ढ़         13 + 25+ 4 + 4 + 4 + 2 = 52 कुल [20/03 23:14] अंजलि शीलू: कल की कक्षा में जो पढ़ा - प्रश्न - भाषा क्या है? उत्तर -भाषा एक माध्यम है | प्रश्न -भाषा किसका

तत्सम शब्द

उत्पत्ति\ जन्म के आधार पर शब्द  चार  प्रकार के हैं ~ १. तत्सम २. तद्भव ३. देशज ४. विदेशज [1] तत्सम-शब्द परिभाषा ~ किसी भाषा की मूल भाषा के ऐसे शब्द जो उस भाषा में प्रचलित हैं, तत्सम है | यानि कि  हिन्दी की मूल भाषा - संस्कृत तो संस्कृत के ऐसे शब्द जो उसी रूप में हिन्दी में (हिन्दी की परंपरा पर) प्रचलित हैं, तत्सम हुए | जैसे ~ पाग, कपोत, पीत, नव, पर्ण, कृष्ण... इत्यादि| 👇पहचान ~ (1) नियम ~ एक जिन शब्दों में किसी संयुक्त वर्ण (संयुक्ताक्षर) का प्रयोग हो, वह शब्द सामान्यत: तत्सम होता है | वर्णमाला में भले ही मानक रूप से ४ संयुक्ताक्षर (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र) हैं, परन्तु और भी संयु्क्ताक्षर(संयुक्त वर्ण)बनते हैं ~ द्ध, द्व, ह्न, ह्म, त्त, क्त....इत्यादि | जैसे ~ कक्षा, त्रय, ज्ञात, विज्ञान, चिह्न, हृदय, अद्भुत, ह्रास, मुक्तक, त्रिशूल, क्षत्रिय, अक्षत, जावित्री, श्रुति, यज्ञ, श्रवण, इत्यादि | (2) नियम दो ~👇 जिन शब्दों में किसी अर्घाक्षर (आधा वर्ण, किन्तु एक जगह पर एक ही वर्ण हो आधा) का प्रयोग हो, वे शब्द सामान्यत: तत्सम होते हैं | जैसे ~ तत्सम, वत्स, ज्योत, न्याय, व्य