कनक मंजरी छंद
शिल्प~
[4लघु+6भगण(211)+1गुरु]=23 वर्ण
चार चरण समतुकांत]
या
{1111+211+211+211
211+211+211+2}
[4लघु+6भगण(211)+1गुरु]=23 वर्ण
चार चरण समतुकांत]
या
{1111+211+211+211
211+211+211+2}
अनहक ही मनमोहन छेड़त
नीति भरे कछु ढंग नहीं।
चल हट मैं इकली सुन केशव
हैं सखियाँ सब संग नहीं।।
नटखट रे मधुसूदन माधव
मोहि करो अब तंग नहीं।
छलबल मैं नहि जान सकूँ कछु
भावत श्यामल रंग नहीं।।
नीति भरे कछु ढंग नहीं।
चल हट मैं इकली सुन केशव
हैं सखियाँ सब संग नहीं।।
नटखट रे मधुसूदन माधव
मोहि करो अब तंग नहीं।
छलबल मैं नहि जान सकूँ कछु
भावत श्यामल रंग नहीं।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
कनक मंजरी छंद
शिल्प~
[4लघु+6भगण(211)+1गुरु]=23 वर्ण
चार चरण समतुकांत]
या
{1111+211+211+211
211+211+211+2}
[4लघु+6भगण(211)+1गुरु]=23 वर्ण
चार चरण समतुकांत]
या
{1111+211+211+211
211+211+211+2}
हलचल जागत नेह बढ़ावत
मोहक नैन पुकारत हैं|
मधुरिम चाहत प्रेम सुधारस
सोहक रैन बुलावत हैं||
सुरमय साज बजावत बाँसुरि
लागत सुन्दर सावन हो|
सुखमय सूरत नंदन के सुत
लाग रहे मनभावन हो||
मोहक नैन पुकारत हैं|
मधुरिम चाहत प्रेम सुधारस
सोहक रैन बुलावत हैं||
सुरमय साज बजावत बाँसुरि
लागत सुन्दर सावन हो|
सुखमय सूरत नंदन के सुत
लाग रहे मनभावन हो||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
भाई राहुल शुक्ल जी, कनक मंजरी छन्द में उत्कृष्ट सृजन हेतु बधाई।
ReplyDeleteआदरणीया डॉ० शुचि संदीप अग्रवाल जी आपका हृदय तल से आभार |
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