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भगवान श्री हरि विष्णु जी एवं देवर्षि नारदमुनि के वार्तालाप से सुसज्जित समीक्षा (06/08/2018 सोमवार) [श्री दिलीप कुमार पाठक 'सरस' जी]

जय जय हिन्दी ~ जय माँ शारदे
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दैनिक समीक्षा ~ 06/08/2018 (सोमवार)
🌹🙏🏻🌹

क्षीर सागर में विराजमान भगवान श्री हरि विष्णु जी ने मुस्कराते हुए पधारे नारद जी से मुस्कराते हुए पूछा ~ सोशल मीडिया लोक में व्हाट्सऐप पर हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में "जय जय हिंदी" समूह के रचनाकारों ने हम सबके आराध्य भगवान भोलेनाथ की महिमाशक्ति वर्णित करने वाला "हर हर महादेव" विषय रखा गया है, जैसा कि आप कल शाम बता के गये थे, उस विषय पर आज की गतिविधि के विषय में जानने की बड़ी प्रबल इच्छा है, प्रिय नारदमुनि जी मैं आपकी ही प्रतीक्षा में था| अब जल्दी से कहिए, प्यास बलवती होती जा रही है |

नारायण ! नारायण !!
प्रभु! आप इतना अधीर हो रहे हो!! आप तो अन्तर्यामी हैं, आप से क्या छिपा है, इस अवसर को मैं भी खोना नहीं चाहता| हर हर महादेव की गूँज मेरे कानों में मिश्री सी घोल रही है | शब्द शब्द में शहद सी मिठास दिखी, "जय जय हिन्दी" समूह पर|

सुनिए प्रभु ! 🌹🙏🏻🌹

सर्वप्रथम जय जय हिन्दी पर आ0.भगत सहिष्णु जी नित्य नमन के साथ प्रकट हुए, राजस्थानी सुगन्ध से जय जय हिन्दी भर उठा, प्रातःकाल में बालाजी आसन लगाकर जय जय हिन्दी पर बैठ गये|
प्रिय हिमांशु मौलिक जी की प्रथम पूज्य गणपति वंदना से जय जय हिन्दी तेज से चमक उठी|
आ0.ममता जी का जयकारा गूँज उठा कि प्रिय जितेन्द्र चौहान दिव्य जी भगवान भोलेनाथ की भक्ति में पगे नजर आये, सच प्रभु जय जय हिन्दी पर अमृतवर्षा होने लगी|
आ0 नवीन दा ऊँ नमः शिवाय का  जाप करते हुए आ गये|
डॉ. राहुल शुक्ल साहिल जी की झलक के साथ आ0 इन्दु शर्मा शचि जी की कान्हा भक्ति पढ़ते ही बनी|
आ0 राजेश कुमार मिश्रा प्रयास जी के साथ दैनिक कार्यक्रम की रूपरेखा के दर्शन क्या हुए प्रभु आनंद ही आनंद !
हर हर महादेव !!
इतना कहकर लम्बी सांस खींचकर नारद जी गहरी मुद्रा में पहुँच जाते हैं ~

नारद जी कहाँ खो गये ?
नारायण! नारायण !!
प्रभु! जय जय हिन्दी के साहित्यकारों के जीवनयापन प्रकिया बड़ी जटिल है, सब अपने अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त हो गये हैं, आनंद के क्षणों को प्रदान करने वालों के जीवन के पालनहार आगे सुनिए~

प्रिय शीतल बोपचे जी प्रिय दिलीप कुमार पाठक सरस जी आ गये हैं, रचनाएँ पढ़कर भाव विभोर हुए जा रहे हैं, रचनाओं पर प्रतिक्रिया देते ही बन रही है, स्नेह बरस रहा है |प्रिय प्रयास जी प्रिय नीतेन्द्र सिंह परमार भारत जी को ले आए हैं, भारत जी की रचना में भगवान भोलेनाथ की बड़ी प्यारी छवि उभरी है |
प्रिय बिजेन्द्र सिंह सरल जी सरलता की तरलता में श्रेष्ठ रचनाकारों को, श्रेष्ठ टिप्पणीकारों को, श्रेष्ठ छंदकारों को निज करकमलों से सम्मान पत्र प्रदान कर रहे हैं ~
सम्मानित होने वाले रचनाकारों में~
प्रिय मधुसूदन गौतम जी
प्रिय कौशल कुमार पाण्डेय आस जी
प्रिय सर्वेशानंद सर्वेश जी
प्रिय प्रखर दीक्षित जी
प्रिय विश्वेश्वर शास्त्री विशेष जी
प्रिय नीतेन्द्र सिंह परमार भारत जी
प्रिय शीतल प्रसाद बोपचे जी
आ0 सुशीला धस्माना मुस्कान जी
आ0 इन्दु शर्मा शचि जी
अरे वाह्हह्हह्ह किसी किसी कलमकार को दो दो सम्मान पत्र मिले हैं|
प्रिय कौशल कुमार पाण्डेय आस जी सबको बधाई दे रहे हैं, मंगल ही मंगल, वाह्हह्हह्ह वाह्हह्हह्ह
बधाई का तो ताँता लग गया है |
प्रिय विवेक दुबे निश्चल जी ने आकर फिर भगवान शिव जी की स्तुति का छंद रख दिया है, बहुत कुछ सीख रहें हैं, अब कलम की धार पैनी होती जा रही है |वाह्हह्हह्ह वाह्हह्हह्ह द्रुता छंद, आनंद आ गया |
प्रिय प्रखर जी ने आज कार्यक्रम न देखा और विषय पूछ रहे हैं? कार्यक्रम तो देखना था, शिथिलता नजर आयी| दैनिक कार्यक्रम संयोजिका आ0 मुस्कान जी बड़े स्नेह से कार्यक्रम बनाती हैं, एक माँ का प्यार छलकता है कार्यक्रम से, फिर भी कोई न देखे तो क्या कहिएगा ?

आ0.निश्चल जी फिर भगवान भोलेनाथ की महिमा गाती रचना ले आए, वाह्हह्हह्ह वाह्हह्हह्ह मनभावन मन प्रफुल्लित हो उठा|
प्रिय आस जी भी हर हर महादेव के साथ में भक्तिभीनी रचना का रसपान कराने लगे हैं, वाह्हह्हह्ह वाह्हह्हह्ह
प्रिय नीतेन्द्र जी और प्रिय प्रखर जी ऊर्जा भर रहे हैं |
तभी प्रिय विश्वेश्वर शास्त्री 'विशेष' जी की राधेश्यामी छंद में मनमोहक रचना आ गयी है, गद्गद हो रहा हूँ प्रभु ! आप तो देख ही रहें हैं, शब्द शब्द भगवान भोलेनाथ की महिमा का दिव्यगान कर रहा है | निश्छलता देखते ही बन रही है |
डॉ. सर्वेशानंद सर्वेश जी आये हैं, प्रिय महेश अमन जी ने कुछ डाला प्रभु पर डिलीट कर दिया, प्यासा रह गया|
प्रिय नवीन तिवारी जी भगवान शिव जी की आराधना से अभिसिंचित रचना ले आए हैं, सुन्दर सुन्दर शब्दों में शिव स्तुति कर रहे हैं, छंद के दृष्टिकोण से सुधार की आवश्यकता है |
प्रभु शाम के पाँच बज गये हैं, अब जय जय हिन्दी पर हम मुक्तकाल का आनंद लेने जा रहे हैं | प्रिय दिलीप कुमार पाठक सरस जी की समीक्षा भी तो पढ़ना है | पता नहीं आज की समीक्षा कैसी हो?प्रभु भोलेनाथ की गूँज हर हर महादेव पर रचित रचनाओं की समीक्षा |सोच सोच रोमांचित हो रहा हूँ | रचनाकारों की नाना विषयों पर रचित रचनाओं का रसास्वादन करना है, बड़ा आनंद मिलता है | अब हमें आज्ञा दीजिए प्रभु !
नारायण ! नारायण!!

          🙏जय जय 🙏

© दिलीप कुमार पाठक "सरस"
           संस्थापक एवं सचिव
जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति पंजी० २२६ बीसलपुर पीलीभीत, उ० प्र०

Comments

  1. 💐🍁💐🍁💐🍁💐💐🍁💐🍁
    बस फिर नारद जी गहरी मुद्रा से चिन्ता में चले गए !
    भगवान विष्णु ने भाँपकर तुरन्त पूछा, क्या बात है, नारद मुनि आप चिन्तित क्यों हैं|

    कुछ नही ! प्रभु बस यह सोच रहा था कि देवाधिदेव महादेव को भी याद करने का समय भूलोक वासियों के पास नही है|
    नारायण नारायण !
    जब साहित्यकारों का यह हाल है तो सामान्यजन तो और भी अनभिज्ञ हैं|

    भगवान विष्णु~
    मन खिन्न न करें ऋषिवर, श्री हरि विष्णु जी ने सांत्वना देते हुए कहा !
    साहित्यकार तो मानव समाज में पौधों जैसा कार्य करते हैं, जितने स्वस्थ और फलदायी पौधे होगें, समाज का उतना ही भला होगा|
    बस ध्यातव्य यह है कि पौधे अच्छे गुणों वाले ही रोपें जाएँ और उनकी देखरेख पर विशेष ध्यान हो| गुणों की सुगंध से खर पतवार तो अपने आप ही नष्ट हो जाते हैं|

    नारद मुनि~
    जय हो आपकी प्रभु ! जय जय
    नारायण नारायण ! नारायण नारायण !
    आपने तो मेरी चिन्ता ही दूर कर दी |
    प्रभुवर एक प्रश्न का समाधान और कर दें तो फिर मैं निकलूँ भ्रमण पर!

    कहिए मुनिवर !

    ये भूलोक पर जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति वाले ऐसा क्या करे जो आभासी समूह पर कलमकारों की सक्रियता बढ़े और उन्हें उज्जवल भविष्य का सोपान मिल सकें|

    भगवान विष्णु~ समीक्षा साहित्य का अभ्यास करें और कराएँ, यही साहित्यिक उद्विकास का आधार होगा| समालोचना और समीक्षा से आभासी (नकली) साहित्यकार तो स्वंय ही भाग खड़े होगें|
    समीक्षा साहित्य को विकसित करके हम कई नूतन विधाओं का आविष्कार कर सकते हैं और हिन्दी भाषा की ऐसी साधना करने वाली समिति सैकड़ों वर्षों तक याद की जाएगी|

    नारद मुनि~
    नारायण नारायण ! हे प्रभु आप त्रिकालदर्शी सर्वज्ञ महाज्ञानी हैं|
    जय हो आपकी और जय हो कैलाशपति महादेव की!
    हर हर महादेव बम बम भोले!
    आज्ञा दें प्रभुवर

    मैं चला देवलोक!

    क्रमशः ०.......….
    🌸🎉🌸🎉🌸🍁🌸🎉🌸🎉🌸

    ReplyDelete
  2. वाह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
    वाह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् बेहतरीन अप्रतिम शानदार जबरदस्त कमाल लाजवाब समीक्षा श्री दिलीप कुमार पाठक 'सरस' जी हृदयंगम बधाई|
    महादेव की गूँज, नारद मुनि के बोल, श्री हरि विष्णु भगवान नारायण की कृपा, माँ वागेश्वरी की उपस्थिति जय जय के मंंच पर ही मिल सकती है | हर हर महादेव ! बेहतरीन समीक्षा के सूत्रधार श्री दिलीप कुमार पाठक 'सरस' जी बने, यह जानकर/ पढ़कर आत्मिक प्रसन्नता हुई| प्रिय दिलीप जी,
    माँ वरदायिनी के अद्भुत कृपा पात्र हैं, हृदय से बधाई एवं शुभकामनाएँ प्रस्तुत करते हुए शब्दों का अभाव व्यक्त करता हूँ, आपके समीक्षालेख पर!

    बहुत बहुत बधाई, आभार एवं साधुवाद,

    डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
    🙏जय जय 🙏

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  3. अद्भुत प्रवाह मय अद्वितीय समीक्षा है 💐💐💐👏👏👏👏
    शब्द नहीं मिल रहे हैं कुछ भी कहने के लिए !
    सबकी उपस्थिति व गतिविधियों को समाहित किये हुये भावों में अतल गहराईयां है । कहने का माध्यम भी अनुपम है । वार्तालाप का क्रम सतत है जिसमें खुशी, आशा, उल्लास के साथ ही चिंता एवं वेदना का भी समावेश है । समीक्षा अनुपस्थित/निष्क्रिय लोगों के लिये प्रश्न भी छोड़ रही है । कल सृजनात्मक उपस्थिति न दे पाने का खेद भी हो रहा है, परन्तु समीक्षा की जितनी भी प्रसंशा की जाय कम है । अतीव सुन्दर गहरी समीक्षा के लिए आपको बहुत बहुत बधाई । मुझे विश्वास है कि आप हमेशा ही नूतन सोच व नव सृजन को गति देगें।

    सादर ! 💐💐💐💐💐👏👏👏आ० राहुल शुक्ल साहिल जी ने समीक्षा में समर्थन व प्रवाह दिया है । अनुकरणीय है|
    👌👌👌👌💐💐💐🌷🌷🌷

    © डॉ० सर्वेशानन्द 'सर्वेश'

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  4. जय जय जय जय सरस समीक्षा।
    बहु विधि बरननि हर पद दीक्षा।
    रचित कवित जिमि गद पद भाषा,
    पढ़त - पढ़त कवि तजत निराशा।
    उर उमगत हरषित मन माही।
    वरनन करत सरस सम नाही।
    जय हो पाठक भैया !

    © मधुसूदन गौतम

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  5. तभी माता लक्ष्मी ने कहा
    हे वत्स नारद !
    हमारे हृदय में अति उत्सुकता
    उत्पन्न हो रही है, आप मौन क्यों हो गये ?
    नारद जी पुनः गहरी श्वास छोड़कर बोले माते !
    फिर सरस जी ने सरस समीक्षा प्रारंभ कर दी है, जिसकी प्रशंसा में मेरे
    पास शब्द नहीं हैं, अतः समीक्षा आनंद को हृदयंगम कर मौन रहना ही उचित है !!
    नारायण नारायण !!

    © विश्वेश्वर शास्त्री 'विशेष'

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