24/07/2018 को रचित दोहे
रचनाकार~ डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
शब्द सृजन संसार है, शब्द वर्ण का मेल|
अलंकार सर्जन सजे, सुर लय साजे खेल||
कविता मेरी कह रही, करुण कमल की गाथ|
पल-पल पल्लव बोलते, कविता का हो साथ||
मातु पिता गुरु बोलते, सेवा है सत्कार|
जन-जन प्राणी में रहे, सदा सत्य सहकार||
लहरों सी हलचल मचें, हृदय कोष में जोर|
जल सा निर्मल प्रेम है, तारा भर दो भोर||
सावन सुखद बहार है, कह रहे हैं विशेष|
कृष्ण रूप में राम जी, मौसम बदले भेष||
सरल सर्जना शब्द से, सरल भर रहे साज|
चंचल चितवन चाल से, चमके हिय के राज||
©डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
छेकानुप्रास अलंकार
जय-जय-जय जयकार हो, कल- कल कलरव काल|
सुखद समय सुर साज से, बदली चित की चाल||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
Comments
Post a Comment