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जलधरमाला/पंकजवाटिका छन्द

  🌺 पंकजवाटिका छन्द 🌺
विधान~
[ भगण नगण जगण जगण+लघु]
(211  111   121  121 1)
13 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत

सोहत नयन निखारत सूरत।
मोहक बदन निहारत मूरत।।
चंदन सरस सुगंध बिखेरत।
वंदन सकल महेश उकेरत।।

राम सकल  नित  खोज  रहा मन|
काम सुखद सत ओज दिखे  तन||
सेवक  बन  मनु  मान  करो अब|
पावन  गुन  लय  गान करो  सब||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

    🌺 पंकजवाटिका छन्द 🌺
विधान~
[ भगण नगण जगण जगण+लघु]
(211  111   121  121 1)
13 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत

सोहत नयन निखारत सूरत।
मोहक बदन निहारत मूरत।।
चंदन सरस सुगंध बिखेरत।
वंदन सकल महेश उकेरत।।

  डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

   
        🌺पंकजवाटिका 🌺
विधान~ [भगण नगण जगण जगण+लघु]
(211  111   121  121 1)
13 वर्ण, 4 चरण [दो-दो चरण समतुकांत]

राम सकल  नित  खोज  रहा मन|
काम सुखद सत ओज दिखे  तन||
सेवक  बन  मनु  मान  करो अब|
पावन  गुन  लय  गान करो  सब||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

         जलधरमाला  छंद

विधान~
[मगण भगण सगण मगण]
(222   211  112  222)
12 वर्ण,4 चरण,यति 4,8
दो-दो चरण समतुकांत]

आ जा साथी, सँग चल मेरे प्यारे ।
चिन्ता कैसी, यह घन छाये कारे।।
सच्चे राही ,पथ पर ही जाते हैं ।
योद्धा सारे, श्रम करके खाते हैं ।।

बिजेन्द्र सिंह सरल

     ◆जलधरमाला छंद◆

विधान~
[मगण भगण सगण मगण]
(222   211  112  222)
12 वर्ण,4 चरण,यति 4,8
दो-दो चरण समतुकांत]

आओ तारा, तुम धुन कोई गाओ|
साथी मेरे,  सुखमय धारा पाओ||
रातें  बीते, सुन - सुन प्यारी बातें|
साथी है  तू, मधुवन  ये  सौगातें||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

     जलधरमाला छंद
[मगण भगण सगण मगण]
(222   211  112  222)
12 वर्ण,4 चरण,यति 4,8
दो-दो चरण समतुकांत]

आओ तारा, तुम धुन कोई गाओ|
साथी मेरे,  सुखमय धारा पाओ||
रातें  बीते, सुन - सुन प्यारी बातें|
साथी है  तू, मधुवन  ये  सौगातें|

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

     जलधरमाला छंद

विधान~
[मगण भगण सगण मगण]
(222   211  112  222)
12 वर्ण,4 चरण,यति 4,8
दो-दो चरण समतुकांत]

देखूँ  मैं  तो, हलचल  है शाला में|
ऐसे ही हो, मधु फल जू माला में||
सारे  गाओ, हिल-मिल वीरों प्यारो|
आओ धीरों,जय जय को स्वीकारो||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'


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