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वंशस्थ छंद (डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल')

     वंशस्थ छंद
[ जगण तगण जगण रगण]
(121   221   121  212)
12वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]

विचार अच्छे  हिय में  सदा रहे|
अमोल बोली मुख से सदा कहे||
विकार सारे मन से निकालिए|
समाज पूरा मिल के सँवारिए||

पुकार  मेरी प्रभु से  यही कहूँ|
सुधार लूँ मैं मम को सही गहूँ|
सुनीत सेवा मनु की सदा करूँ|
नवीन धारा गुन की हिया भरूँ||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

Comments

  1. Sir aapka chand bahut saral aur sahaj hai.

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    1. धन्यवाद भाई
      परिचय अवश्य बताएँ सम्पर्क नं० सहित

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  2. Iska arth bodh sugamta se ho gaya.

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  3. Sir aapka chand bahut saral aur sahaj hai.

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  4. Sir it's simple and meaningful

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    1. धन्यवाद भाई
      परिचय अवश्य बताएँ सम्पर्क नं० सहित

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  5. Sir it's simple and meaningful

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  6. धन्यवाद भाई
    परिचय अवश्य बताएँ सम्पर्क नं० सहित

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