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पुष्प/ फूल/ कुसुम/ प्रसून

                   फूल / पुष्प 

जवानी अपनी जिन्दगानी अपनी,
टूटता हूँ टूट जाता हूँ तोड़ा जाता हूँ,
मरता हूँ खपता हूँ समर्पित हो जाता हूँ,
सड़ता हूँ गलता हूँ पानी में बह जाता हूँ ,
पुष्प हूँ मैं ईश्वर की प्रार्थना में काम आता हूँ,
खुशी मिलती मुझे कि सबको मुस्कुराहट सीखाता हूँ ।

पौधे से टूटकर रोता हूँ मैं,
हाथों में आकर सोता हूँ मैं,
बिना दर्द के दिल टूट जाता है,
अपनी ही माँ  को  खोता हूँ  मैं,
फूल हूँ  प्रेमी को समर्पित होता हूँ मैं,
मिलती है खुशी जब दो दिलों को मिलाता हूँ मैं।

बागों में उगता हूँ ,
कलियों से बनता हूँ ,
वीरों  पर  चढ़ता  हूँ ,
शहीदों को नवाजा जाता हूँ मैं,
महापुरूषों  के सम्मान में प्रसून
सहर्ष समर्पित हो जाता हूँ मैं,

जन्म ही समर्पित जीवन प्रदर्शित,
हर खुशी में शामिल महक समर्पित,
प्रसन्नता मोहब्बत विरह और मिलन,
सुमन की  खुशी  परमात्मा हो  दर्शित,
तरूण हूँ  कुसुम हूँ  वृद्ध होता  नही,
प्रेरणा और प्रेम सबका बन जाता हूँ मैं।

             साहिल

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