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◆विद्धुल्लेखा/शेषराज छंद◆
शिल्प:-
[मगण मगण(222 222),
दो-दो चरण तुकांत,6वर्ण]
*प्रभु की माया*
देखी तेरी माया
है तेरा ही साया
गाओ राधा नामा
पूरा हो श्री कामा ।
माँ गंगा ने तारा
तूही मेरा सारा
तू है मेरी राधा
हूँ मै तेरा आधा।
मेरा साया कान्हा,
कैसे बीते तन्हा,
गाना गाओ सारे,
सारे दोषा टारे।
कैसे बीते रैना,
मेरे भीगे नैना,
माता दूरी टारो,
भाई को भी तारो।
*डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल*
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