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समुद्र मंथन/ मनुज मंथन

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       समुद्र मन्थन/ मनुज मन्थन 

मनुष्य अपने चमत्कारिक गुणों एवं विचार शक्ति से ही अन्य जीवों से भिन्न विशेष विवेकवान है।
मनुष्य के अन्दर अपार मानसिक शक्ति है, अपार शारिरिक एवं आत्मिक शक्ति है।
जरुरत है उन्हें समझने और जागृत करने की,
जिस प्रकार से देवासुर संग्राम के समय समुद्र मन्थन से चौदह प्रकार के रत्नों की उत्पत्ति हुई थी।
उसी प्रकार कलीयुग में मनुष्यों को जागरण, उत्थान, आत्मिक उन्नति व परमात्मात्व की प्राप्ति के लिए स्वयमेव ही जागरण व प्रयास की आवश्यकता है।

जिस प्रकार समुद्र मंथन से *हलाहल विष* निकाला था वो मनुष्य की चित्त प्रवृति है जैसे कोध्र मद लोभ ईर्ष्या द्वेष की भावना भी किसी विष से कम नही,

धेनू अर्थात गाय माता या *कामधेनु*
गौ की सेवा से तन मन निरोगी होता है और वातावरण शुद्ध।

श्वेत *उच्चै श्रवा अश्व (घोड़ा)* मनुष्य के उच्च स्तरीय कौशल पूर्ण पुरुषार्थ व यश का प्रतीक है।

*ऐरावत हाथी* सफेद हाथी बल बुद्धि सच साहस व परिश्रम का प्रतीक है।

*कौस्तुभ मणि* अति दुर्लभ आत्मिक दैविय शक्तियों या जागृत कुण्डलिनियों का द्योतक है।

*कल्पद्रुम* निरोगता व सहयोग सहकार का प्रतीक है।

*रंभा देवी* नारी शक्ति सुन्दरता व नारी सम्मान को समाज में बनाये रखने के लिए समुद्र मन्थन से उत्पन्न हुई।
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*लक्ष्मी देवी* स्वच्छता समृद्धि सम्पन्नता व धन ऐश्वर्य का प्रतीक है।

*वारुणी या मदिरा* या विषाक्त पदार्थ  मनुष्य के शरीर में भी विद्यमान है, शरीर के 75% जल में से आधे से ज्यादा विषाक्त या अवशिष्ट पदार्थो से भरा होता है, जिसको निकालने के लिए हमारा खानपान प्राकृतिक होना चाहिए।

*चन्द्रमा* भी मन्थन रत्नों में से एक विशेष है जिस हमें हमें शीतलता धैर्य सौहार्द व सामञ्जस्य की सीख देता है।

*परिजात या कल्पवृक्ष* की तरह यदि हम वृक्षों वनस्पतियों व पौधों की रक्षा सुरक्षा करें तो वो  हमें इच्छित फल व सम्पन्नता प्रदान करते हैं।

*पांचजञ्य शंख* भी समुद्र मंथन से निकला था जिस मनुष्य के जीवन में विजय, शान्ति, सुख, यश व कीर्ति का प्रतीकमान है।

*धनवन्तरि  वैद्य* जी ने तो मनुष्य जाति के लिए वनस्पतियों से निकाल कर औषधीय गुणों वाले पौधों से सेहत व स्वास्थ्य दिया जिससे मनुज निरोगी व दिर्घायु हो सकें।

अगला मन्थन घटक  अमृत, यानि अमरता मनुष्य के श्रेष्ठ व सर्वजनहिताय कर्म के प्रतिफल स्वरूप मरणोपरांत भी याद किये जाने वाली अमरत्व का प्रतीक है।

इति मनुज जीवनम् समुद्रः मंथनम् समाप्त

डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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