विधा – ◆रूपमाला/मदन छंद [सम मात्रिक]◆
विधान–24 मात्रा,/14,10 पर यति,
आदि-अंत में वाचिक भार 21,
चार चरण,क्रमागत दो-दो चरण तुकांत।
श्री राम
काम करो कुछ जन हित, आदर्श श्री राम।
धाम अयोध्या पूजन हो,अनुसरण है नाम।
रोम रोम कण कण व्यापत, जीव है अविराम।
होम है प्रभु की मन भक्ति,मरण नही विराम।
रहें कर्म चरित्र का भान न हो स्त्री अपमान।
शान हो सच ईमान की, हो धर्म का गान।
✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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