Skip to main content

श्री राम

विधा  – ◆रूपमाला/मदन छंद [सम मात्रिक]◆

विधान–24 मात्रा,/14,10 पर यति,
आदि-अंत में वाचिक भार 21,
चार चरण,क्रमागत दो-दो चरण तुकांत।

            श्री राम

काम करो कुछ जन हित, आदर्श श्री राम।
धाम अयोध्या पूजन हो,अनुसरण है नाम।

रोम रोम कण कण व्यापत, जीव है अविराम।
होम है प्रभु की मन भक्ति,मरण नही विराम।

रहें कर्म चरित्र का भान न हो स्त्री अपमान।
शान हो सच ईमान की, हो धर्म का गान।

✍  डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...