नारी शोषण

विधा  ◆उड़ियाना छंद   
 [सम मात्रिक]◆

विधान– [प्रति चरण  22 मात्रायें, 
12,10 पर यति?अंत में एक ही गुरु।
चार चरण,क्रमागत दो-दो चरण तुकांत।]

        समाज की पीर

मान मर्दन नारी का,
       फैलती दनुजता।
बदल रहा है विचार,
     दमित है मनुजता।

बिगड़ा मनुज आचरण,
         मद नशे से भरा।
असहन युग की पीड़ा,
         दवा खोजे जरा।

भाषा संस्कार नींव,
         बुलंद बनाइऐ।
रोग व्याधि अनाचार,
         जग से हटाइऐ।

कृषक धरा के गरीब,
          देश की पीर है।
संसाधन का दोहन,
        प्रकृति का धीर है।

✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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