Skip to main content

श्री विष्णु ध्यानम्

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹
                अथध्यानम् 

शान्ताकारं भुजगशयनम् पद्मनाभं सुरेशं।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाग्ङम्।।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

  भावार्थ ☆

जिनकी आकृति अतिशय शान्त है,
शेषनाग की शय्या पर करते है शयन जो,
जिनकी नाभि में कमल विद्यमान है,
जो देवों के ईश्वर जगत के आधार है,
जो आकाश के समान सर्वत्र व्याप्त है,
नील मेघ के समान जिनका वर्ण है,
अति सुंदर जिनके सम्पूर्ण अंग है,
जो योगियों द्वारा ध्यान से प्राप्त होते हैं,
जो सम्पूर्ण लोकों के स्वामी हैं,
जो जन्म मरण भय को हरने वाले हैं,
ऐसे लक्ष्मीपति, कमलनेत्र भगवान,
श्री विष्णु का हम शत शत नमन करते हैं। 
🙏🏻🌷🙏🏻🌷🙏🏻🌷🙏🏻🌷🙏🏻

   ।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...