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देश की सामयिक परिस्थितियाँ

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         देश की सामायिक परिस्थितियाँ

कालाधन है थोक में, मिटे देश का रोग,
मुद्रा बदली देश में, क्यूँ मचल रहें है लोग,
उन्नीस सौ अठत्तर में भी,बन्द हुये थे नोट,
निर्णय उचित देश हित में, करें सभी सहयोग।

चाणक्य नीति भी कहती एक विचार,
देश में कभी न बढ़े चोरी भ्रष्टाचार,
समय पर हो यदि मुद्रा का बदलाव,
बदलें अपनी सोच तो बढ़े प्रेम व्यवहार।

उनहत्तर वर्ष बीत गये, हुये थे आजाद,
देश अब तक अर्थ कृषि में, कितना है आबाद,
राजनीति ही कूटनीति है, हमें चाहिए वोट,
गाँधी ऋषियों के देश में फैला जातिवाद।
                          
उत्पादन निर्यात से बढ़े रुपये (₹) का मान,
अनभिज्ञ मोदी को बोल रहे विदेश यात्री जान,
विपणन पर्यटन तकनीकी से होगा रोजगार,
बदल रहा वो देश को, भारत बनें पहचान।

उनकों क्या नही दिखती बेरोजगारों की हार,
भर्ती की मारामारी में भी बेचारे खा रहें है मार,
हल्ला कतार का विद्रोही मचा रहें हैं आज,
गरीबों की देख लो राशन के लिए कतार।

राष्ट्र हित स्वहित जन जन को बदलना होगा,
आतंकवाद से नही खुद से ही लड़ना होगा,
परिवर्तन की लहर काल में, मोदी है शुरुआत,
जितना श्रम उतना धन समाजवाद लाना होगा।

                    15/11/2016
  ✍          डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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