🌴 असंबधा छंद 🌴 विधान~ [ मगण तगण नगण सगण+गुरु गुरु] (222 221 111 112 22) 14 वर्ण,4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत] माया माया में काहे भटकत मनु हैं सारे| काया से सेवा जनसुख कर ले प...
जितना भी चाहता हूं, सब मिल ही जाता है, अब दुख किस बात का ॽ