[11/13, 12:58] आ• अनीता मिश्रा:
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गीत
💐तुमने कितनी देर लगा दी 💐
शेष नही है कुछ भी अब तो इस पैमाने में,
तुमने कितनी देर लगा दी मुझ तक आने में !!
नेह स्नेह के अनुबन्धों में खुशियां थमी नहीं,
कहनी थीं जो बातें हमने वो भी कहाँ कहीं ?
रूखे सूखे नयन रहे मुस्कानें सजी रहीं,
कितनी पीड़ायें दी हैं तुमने अनजाने में,
तुमने कितनी देर लगा दी मुझ तक आने में ।।
कुछ लम्हों के सम्मोहन सदियों तक जाते हैं,
नमित नयन में स्वप्न नीर से क्यूँ भर आते हैं,
हाथ नही आता कुछ भी खुद को भरमाते हैं ,
कच्चा सूत लगाये बैठे ताने बाने में ,
तुमने कितनी देर लगा दी मुझ तक आने में ।।
कस्तूरी स्मृतियों से मन संदल संदल है,
बौराई पुरवाई जैसा दिल ये पागल है,
शेष अशेष नही कुछ भी बस रीता आँचल है,
किस किसका अब नाम लिखूँ मैं इक अफ़साने में,
तुमने कितनी देर लगा दी मुझ तक आने में ।।
ब्रजेश शर्मा विफल
14.35 hrs
4नवम्बर17
[11/13, 12:59] आ• अनीता मिश्रा: थोडा अपने बारे में
कुछ आत्म कथ्य प्रकार का:--
1- पूरा नाम :- ब्रजेश शर्मा "विफ़ल"
2- पिता का नाम:- स्व. श्री रविदत्त शर्मा
माँ :-श्रीमति क्रांति शर्मा
3- वर्तमान/स्थायी पता:- 1199/1
परी इंटरनेट प्लाजा के पास, ईसाई टोला 'दिलदार नगर -खाती बाबा झाँसी (उ.प्र.)
284003
4--फोन नं/वाटस एप नं/ ई मेल
:- 9451171389/ 8395869358/braj.vifal4@gmail.com
5- शिक्षा/जन्म तिथि:- B.Sc,B.Ed,
M.A.(अँग्रेज़ी साहित्य)/
01.08.1965
6- व्यवसाय:- भारतीय रेल में उप मुख्य टिकिट निरीक्षक के पद पर कार्य रत
7- प्रकाशन विवरण :- कुछ साँझा काव्य संकलन ,
" क़दमों के निशान",
सत्यम प्रभात,
काव्योदय 1 एवम् 2,
अनकहे जज़्बात,
हिंदी भाषा सहोदरी का सहोदरी सोपान 3,
ग़ज़ल एक जिज्ञासा,
उड़ान मंच का साँझा ग़ज़ल संग्रह
प्रकाशनाधीन:- 2 अनाम साँझा संग्रह
(सत्यम् प्रकाशन के तत्वावधान में)
तथा समाचार पत्र और पत्रिकाओं में गाहे बगाहे
तथा प्रयास अंतर्राष्ट्रीय इ पत्रिका एवं राष्ट्रीय इ पत्रिकाओं में प्रकाशन
8- सम्मान का विवरण :- ग़ज़ल सागर झुंझनू द्वारा "साहित्यकार सम्मान",
विश्व हिंदी रचनाकार मंच द्वारा
"काव्यश्री" सम्मान,
हिंदी सागर सम्मान,
प्रतिमा रक्षा सम्मान समिति करनाल द्वारा ग्रेट अचीवर्स अवार्ड,
साहित्य सागर द्वारा युग सुरभि सम्मान,
दो चार और भी जुट जाते मग़र सरकार ने छुट्टी ही न दी😝😝😝
साथ ही साथ कई ऑनलाइन सम्मान भी ।।
9- संस्थाओं से सम्बद्धता :- राष्ट्रीय कवि संगम,
जिज्ञासा काव्य मंच,अंतरा शब्द शक्ति,काव्योदय उड़ान तथा अंतर्जाल पर कई ऑनलाइन संस्थाओं से वाबस्तगी ।
10- काव्य मंच/आकाशवाणी/दूरदर्शन/मंच पर काव्य पाठ :-जीवन्त मंच पर काव्य पाठ की कुछ प्रस्तुतियाँ,
एवम् तमाम ऑन लाइन सम्मेलन में शिरक़त ।
तख्खलुस :- "विफ़ल"(वैसे इश्क़ की नाकामियों से इसका कुछ लेना देना नही..)
लेखन का उद्देश्य :- यूँ तो लेखन का उद्देश्य स्वान्तः सुखाय ही है ।।पर किसी को छू ले तो क्या बात है ।
लेखन के प्रति विचार:-
लेखन भावाभिव्यक्ति की वो कला है जो लेखक को भीड़ से अलग करती है ।।
सार्थक लेखन, जो सकारात्मक प्रवृत्तियों के द्वार खोलने में सहायक हो ।
और वही लेखन मुझे सफ़ल लेखन प्रतीत होता है जब पाठक और लेखक के मध्य एक तादात्म्य स्थापित हो ।।
और पाठक को रचना आप बीती सी लगे।।
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