Skip to main content

नित छन्द

     ♤नित छंद♤

शिल्प~ प्रति चरण बारह मात्राएँ।
अंत में लघु गुरु(12) या नगण(111)
[दो दो चरण तुकांत

मन  मोहते  भगत गुरु|
ज्ञान ध्यान चाहत शुरु||
जीवन  में   विचार  हो|
गुरु पंथ  स्वीकार  हो|| 

       🌹साहिल🌹

[11/5, 21:50] डाॅ• राहुल शुक्ल:  

         ♤नित छंद♤

शिल्प~ प्रति चरण बारह मात्राएँ।
अंत में लघु गुरु(12) या नगण(111)
[दो दो चरण तुकांत]

मन मोहते  भगत गुरु|
ज्ञान ध्यान चाहत शुरु||
जीवन  में   विचार  हो|
गुरु पंथ स्वीकार हो|| 

       🌹साहिल🌹

[11/5, 23:34] डाॅ• राहुल शुक्ल:

♤ नित छन्द♤

साहिल को भूल गए|
सागर में  फूल भए||
नेह गेह  प्रीत  लिखा|
जीवन संगीत सिखा||  

प्यास बुझती नीर से|
साहिल से न धीर से||
इस अनंत  संसार में|
सुखद प्रीत विचार में| 

       ~ साहिल

[11/6, 00:11] डाॅ• राहुल शुक्ल:

दिव्य की हो दिव्यता|
स्नेह से  हो  भव्यता||
ओम  का  आवेग  हो|
सोम  का  संवेग  हो||

छन्द नित्य ज्ञान मिले|
तन मन में पुष्प खिलें||
सरस सरल सुहावने|
भाव  बनै  लुभावने||

        ~ साहिल

Comments

  1. नित छंद की सरल मापनी 12,12,12,12
    है।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...