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रश्मि शानू विश्वेश्वर कपूर राही

[10/30, 00:46] रवि रश्मि अनुभूति: 9920796787 रवि रश्मि 'अनुभूति

🙏🙏
बह्र  --  212    212    212    212

रक्षक
°°°°°°
देश की माटी है , अरमान हमारा
नाम इसका सहारा , बड़ा हमारा
हम सदा तत्पर , क़ुर्बानी के लिए ,
सामने रहेगा , नाम ही हमारा ।

सरहदों पर रक्षा , हम करेंगे सदा
रक्षित आप घरों में , रहेंगे सदा
बेफ़िक्र रहना , चिंतित होना न कभी,
नज़दीक आपके हम , रहेंगे सदा ।

देश सुरक्षित रहे , यह फ़र्ज़ हमारा
देश - सेवा उतारे , क़र्ज़ हमारा
अभिमान है हमें , देश पर साथियो ,
यह वतन हमारा , है वतन हमारा ।

मौसमी हवाएँ , हमें हैं सुहातीं
सुबह की किरणें , हैं जलवे दिखातीं
वन - उपवन सब हैं , दुलारे हमारे
बोलियाँ पक्षियों की , हैं दिल लुभातीं ।

पहाड़ों पर आप , आकर तो देखो
यहाँ अपने सपने , सजाकर तो देखो
स्वर्ग में पहुँचे हो , ऐसा लगेगा ,
नींद से खुद को , जगाकर तो देखो ।

खानदानी रक्षक हम , सदा ही रहे
जान इस पर लुटाते , सदा ही रहे
आख़िरी दम तलक , तैनात रहेंगे  ,
रक्षा कर जो जागते , सदा ही रहे ।
                 ¤¤¤¤¤
@
रवि रश्मि ' अनुभूति '
8.9.2017 , 8: 52 ए. एम. पर रचित ।
                  ¤¤¤¤¤

[10/30, 00:46] रवि रश्मि अनुभूति: 9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति'
परिचय
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रवि रश्मि 'अनुभूति '
जन्म /स्थान    28 नवंबर / दिल्ली
मातृभाषा        पंजाबी
शिक्षा             एम.ए.बी.एड.
अन्य
-------             इंस्टीट्यूट आॅफ़ जर्नलिज्म,नई दिल्ली तथा अंबाला छावनी से पत्रकारिता कोर्स l
पुरस्कार प्राप्त -
-------------------
                   महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार ,पंडित दीनदयाल पुरस्कार ,मेलवीन पुरस्कार ,पत्र लेखिका पुरस्कार,श्रेष्ठ काव्य एवं निबंध लेखन हेतु उत्तर भारतीय सर्वोदय मंडल ,भारत जैन महामंडल योगदान संघ द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित l
संपादन/लेखन -
--------------------
                    1971-72 में रश्मि नामक पत्रिका का संपादन lइसके अलावा देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं ,जैसे- उर्वशी ,नव संदेश(म.प्र.),नवभारत,नव भारत टाइम्स,महानगरी एक्सप्रेस,मेरी सहेली,समान्तर,जनसत्ता,राष्ट्र विचार,दोपहर,हमारा महानगर,दोपहर का सामना,निर्भय पथिक,मंगलदीप,जैन जगत,ओसवाल जगत,गृहशोभा आदि सहित अनेक पत्र -पत्रिकाओं में गीत,ग़ज़ल,कविताएँ,नाटक,लेख,विचार,समीक्षा आदि निरंतर प्रकाशित l

राष्ट्र हित में दूरदर्शन के लिए कार्य --
----------------------------------------------
♢मुंबई दूरदर्शन केंद्र द्वारा,मेरे द्वारा  निर्देशित,नाटक 'जागे बालक सारे' का 20 फरवरी,1990 को प्रसारण|
♢मुंबई दूरदर्शन केंद्र द्वारा कारगिल के शहीदों को सलाम कार्यक्रमों का प्रसारण किया गया,जिसमें शहीदों के सम्मान में काव्य पाठ हेतु विशेष रूप से आमंत्रित किया गया|
♢ दिल्ली से प्रसारित नारियों पर आधारित 'औरत ' धारावाहिक में साक्षात्कार|
राष्ट्र हित रेडियो के लिए कार्य --
------------------------------------------
♢ रेडियो श्रीलंका के कार्यक्रमों में-
कहानी ' चाँदनी जो रूठ गई ',                         नारी जगत में नाटिका ' कविताओं की कीमत ',
प्रसारित कविता ' मुस्कुराहटें ' को प्रथम पुरस्कार तथा कई रचनाओं व लेखों का प्रसारण| 1970-75 .

♢ आकाशवाणी मुंबई ,परभणी और औरंगाबाद से कई रचनाओं का प्रसारण|
सम्मान --
-------------
       समस्तीपुर ( बिहार ) के  साहित्यिक सांस्कृतिक चेतना विकास मंच के अर्चना लोक द्वारा साहित्य शिरोमणि उपाधि l
प्रतापगढ़ ( उ.प्र.) की साहित्यिक सांस्कृतिक अकादमी द्वारा साहित्य श्री की उपाधि|
और भी कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित|
अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्टीट्यूट द्वारा 'विमन आॅफ़ दी इयर' उपाधि प्राप्त -1999 .
सदस्यता --
----------------
सदस्यता --
---------------
अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्टीट्यूट द्वारा प्रोफ़ेशनल विमन्स एडवाइज़री बोर्ड की सदस्यता , मुंबई ट्रांबे पुलिस स्टेशन की शांति एकता समिति ,लायंस क्लब तथा योगदान संस्था की सदस्यता l
प्रकाशित पुस्तकें --
------------------------
1)  प्राचीरों के पार
2)  धुन ( महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी से पुरस्कृत / सम्मानित)
अध्यक्षता --
----------------
रोटरी क्लब चेम्बूर , लायन्स क्लब , विवेकानंद काॅलेज , देवदीप संस्था , गुंदेचा ब्रदर्स संगीत कार्यक्रम आदि द्वारा आमंत्रित कई कार्यक्रमों,क्लब गोष्ठियों में कार्यक्रमों में अध्यक्षता तथा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थिति|
संचालन --
--------------
स्कूल - काॅलेज के कार्यक्रमों , कवि सम्मेलनों , चौपाल , विविध कार्यक्रमों / समारोहों आदि का संचालन l
अभिरुचि --
-----------------
       नृत्य , अभिनय , सिलाई , कढ़ाई , बुनाई , ड्राॅइंग , पेंटिंग , फोटोग्राफी , ड्राइविंग आदि l
मैँ इन खेलों की बहुत अच्छी खिलाड़ी थी ----
थ्रो बाॅल , बास्केटबॉल , वाॅलीबाॅल , टेबल टेनिस , बेडमिंटन , टेनिक्वाईट , शतरंज , कबड्डी l
** शाॅटपुट, चकती फेंक , भाला फेंक में प्रथम स्थान प्राप्त l
लंबी कूद , ऊँची कूद , 400 मीटर दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त l
**  रिले रेस में यूनिवर्सिटी स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त l
¤¤ यूनिवर्सिटी स्तर पर वाॅलीबाॅल की बेस्ट प्लेयर l
बास्केटबॉल , वाॅलीबाॅल एवं टेबल टेनिस खेलने हेतु नेशनल चैम्पियनशिप हेतु चयनित|
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रवि रश्मि ' अनुभूति '
मुंबई ।
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[10/30, 00:46] रवि रश्मि अनुभूति: 9920796787   रवि रश्मि 'अनुभूति '
एडमिन जी , काव्य संकलन हेतु मेरा छायाचित्र, शुल्क  - रसीद की फोटो काॅपी, मेरा परिचय व मेरी मौलिक रचना संलग्न हैं । संकलन में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार ।
    पत्रिका दिन दुगुनी रात चौगुनी उन्नति करती हुयी सदा चढ़ती कलाओं में रहे ।  धन्यवाद ।
            
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रवि रश्मि ' अनुभूति '
नवी मुंबई ।
30.10.2017 .
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मौलिकता का प्रमाण पत्र
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    मैं  , रवि रश्मि 'अनुभूति ' घोषित करती हूँ कि संकलन के लिए प्रेषित 8.9.2017 , 8: 52 पर रचित रचना -  ' रक्षक ' मेरी मौलिक रचना है ।
@
( c ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।

रवि रश्मि 'अनुभूति ' ।
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     [10/30, 06:16] शानू बाजपेई: रचनाकार का नाम:- शानू बाजपेई

पिता का नाम:- स्व. मुनीषचन्द्र बाजपेई

माता का नाम:- मोहिनी बाजपेई

जन्मतिथि:-06/08/1995

वर्तमान/स्थायी पता:-
ग्राम +पोस्ट घाटमपुर कलां, जिला उन्नाव
उ0प्र0 -209801

व्हाट्स एप न0/ ईमेल:-9161909728
jairaman.bajpai.1995.53@gmail.com

शिक्षा :- एम० ए० द्वितीय वर्ष ( हिन्दी साहित्य)

व्यवसाय-:प्राइवेट कम्पनी मे कार्यरत
[10/30, 06:16] शानू बाजपेई: " माँ"

माँ के लिये मै क्या लिखू जो लिखू वो कम है /
बेटे का कष्ट देख कर आँख भी उसकी नम है/

माँ तो बस प्यार की एक जीती जागती मूर्ति है/
विश्व मे सबसे ऊपर नाम की उसके कीर्ति है/

जो सदा पुत्र की खातिर सभी कष्टो के सहती रही है/
जो सदा जीवन मे निरन्तर नदी की तरह बहती रही है/

जिसने हमको कोख मे रख कर ये जीवन दिया है/
जिसने हर घड़ी हर कष्ट को खुद मे वरण किया है/

माँ बनते ही उसके ओठो पर कितनी खुशी छाई थी/
उसके दूध का कर्ज बाकी जो दूध की दो बूंद पिलाई थी/

लगे न नजर किसी की काला टीका वो लगाती थी/
गले मे वो मेरे हाय वाली माला भी पहनाती थी/

थोड़ा सा बड़े हुये तो सच्चाई का पाठ पढ़ाया था/
झूठ न बोलना कभी जिस माँ ने हमको सिखाया था/

देगा हर खुशी इस जहाँ की ख्वाब ऐसा पाला था/
ख्वाब पूरे करके बेटे ने जीवन मे भरा उजाला था/

उसने हर बार ईश्वर से उसके लिये वरदान केवल मांगा था/
इस जहाँ की उलके लिये हर खुशी सम्मान केवल मांगा था/

तीनो लोको मे माँ की सेवा से बढकर कोई पूजा नही है/
इस संसार मे माँ की ममता से बढ़कर कोई दूजा नही है/

जिसका प्यार अम्बर से ऊँचा मन सागर से गहरा है/
उसके आँचल की छाया पाने को खुद ईश्वर भी ठहरा है/

मै अपने शब्दो के कुछ फूल माँ के चरणो मे चढाता हू/
मै इस दुनिया की हर माँ के चरणो मे शीश झुकाता हू/

"शानू बाजपेई"
[10/30, 06:16] शानू बाजपेई: 916190962 ---शानू बाजपेई

मौलिकता
+++++++++++
    मैं  शानू बाजपेई घोषित करता हूँ कि संकलन के लिए प्रेषित रचना मेरे द्वारा  रचित रचना  'माँ ' मेरी मौलिक रचना है ।
@
( c ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
==============================

[10/30, 08:15] राजेन्द्र राही:
गज़ल  ~

भीड़ में सब चल दिए रावण जलाने के लिये
न्याय जीता पाप हारा यह बताने के लिये

माँ पिता आदेश से चौदह वर्ष वन में रहे
चल दिये फिर पाप की लंका ढहाने के लिये

राम के पथ पर चलें यह कामना मन में नहीं
रीतियाँ वर्षों पुरानी बस निभाने के लिये

पाप के साथी सभी मारे गये उस युद्ध में
जो चले थे राम से लड़ने लड़ाने के लिये

था घमंडी और ज्ञानी पर दुराचारी नहीं
वो लड़ा बस राम को नीचा दिखाने के लिये

रावणों का रूप धरकर लूट धरती पर मची
गिर रहा है आदमी अब तो कमाने के लिये

छल कपट अन्याय की हर कामना का अंत हो
तब मने घर घर दशहरा जन जगाने के लिये

पर्व का संदेश यह ही प्रेमवत व्यवहार हो
धर्म जातिय सोच से उठने उठाने के लिये

राम पथ पर सब चलें तब राम का ही राज्य हो
चल पड़ा राही अकेला यह बताने के लिये
राजेन्द्र शर्मा राही

[10/30, 08:18] राजेन्द्र राही:
परिचय
नाम -राजेन्द्र शर्मा राही
पिता का नाम -स्व.श्री सुन्दरलाल शर्मा "राही"
जन्मतिथि 12/04/1964
विधा -छंदबद्ध  कविता,गज़ल, लेख
सम्मान -मैथलीशरण गुप्त सम्मान,साहित्य सौरभ सम्मान,शिव सम्मान,राष्ट्रभाषा आचार्य सम्मान,म.प्र.साहित्यरत्न सम्मान ऐसे अनेक सम्मान
कृतियाँ - चेतना के स्वर,जीवन के सरोकार प्रकाशन की तैयारी में, पत्र पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशन,मंचों पर रचना पाठ
पता-257 गोयल विहार,खजराना गणेश मंदिर के पास इन्दौर म.प्र।
मो.09826263960,09406677108

[10/30, 13:53] एस• के कपूर:
नाम - एस के कपूर श्रीहंस
पता- ६,,,,,पुष्कर एन्कलेव।।।स्टेडियम रोड  ।।।। बरेली उ• प्र•

आयु।।।।।६७वर्ष

व्यवसाय।।।।।।सेवा निवृत्त बैंक प्रबंधक
विशेष कार्य।।।कविता।।।।मुख्य विधा
मुक्तक

फोटो अलग से संलग्न
1) लगभग १५ संस्थायों से  सम्बन्धित
2) संस्थापक अध्यक्ष ।।।।।पीलीभीत मिडटाउन जेसीस।।।वर्ष 1986
एवमं
संस्थापक अध्यक्ष।।।सेवा निर्वत एस बी आई अधिकारी सामाजिक क्लब।।।बरेली।।।2016।।
3) दूरदर्शन  आकाशवाणी  पर कार्यक्रम प्रस्तुत किये|

4) अनेक पत्र पत्रिकाओं में  प्रकाशित।
उदाहरण।।।।आई नेक्स्ट ।।गीत प्रिया।।परफेक्ट जर्नलिस्ट।।हेल्थ वाणी।। रोहिलखण्ड  किरण।।प्रेरणा अंशु।।
विनायक शक्ति।।बैंक की अनेक  पत्र पत्रिकयों में सैंकड़ों लेख  व कविताएं
एवमं
सेलेक्टेड न्यूज़ मासिक समाचार पत्र का संपादन मई 2014 से मई 2016 तक।

5) क्विज मास्टर  व कार्यक्रम संचालन  में विशेष अभिरुचि व क्विज से सम्बंधित गेम्स ।

6) सेवा निवृत्त प्रबंधक
भारतीय स्टेट बैंक
बरेली  उ• प्र•

7) शिक्षा।।।एम एस सी रसायन शास्त्र
सी ए आई आई बी

8)।।वर्तमान में।।।।चीफ आफ इंटरवियू बोर्ड।।।।महिंद्रा बैंक कोचिंग।।।
बरेली।।।

9)  उ• प्र• बुक ऑफ रिकार्ड्स द्वारा 14 अक्टूबर 2017 को ट्रॉफी, मैडल प्रमाण पत्र प्रदत्त
मो• 9897071046
    8218685464

[10/30, 13:53] एस• के कपूर:
संख्या   (2)    ।।।।।।।।।।

         शिक्षा
        मुक्तक
एक    दिन तुम  भी   कोई
बीता इतिहास बन जायोगे।

भूत काल की भीड़ में गुम
बे  हिसाब   बन   जायोगे।।

यदि जिया जीवन धर्म कर्म
कर्तव्य  प्रेम की  शिक्षा से।

बनोगे सबके  प्रिय तुमऔर
आदमी खास बन जायोगे।।

रचयिता।।।।।एस के कपूर श्री
हंस।।।।।।।।बरेली।।।।।।।।।।

दिनांक  30/10/2017
मोब 9897071046 
8218685464  

[10/30, 13:53] एस• के कपूर: संख्या~  (3)
न तेरी जीत  न मेरी मात
     मुक्तक
कभी दुर्भावना नहीं बस
प्रेम की बात हो।

बसे विश्वास  दिलों में न
घात प्रतिघात हो।।

हवा भी बहे  बस  लेकर
अमन चैन का संदेश।

न मेरी ही  कोई जीत हो
न तेरी  ही मात हो।।

रचयिता।।।एस के कपूर
श्री हंस।।।।बरेली।।।।।।

दिनांक।।30।।10।।2017

[10/30, 13:53] एस• के कपूर:
विविध मुक्तक माला

जीवन अनमोल है
      मुक्तक
संख्या (1)

बढ़िया  बहुत  चल  रहा है
जीवन बिना उधार के।

नाव  बढ़ रही  है जैसे आगे
बिना   पतवार   के ।।

पर क़र्ज़ है यह एक जिन्दगी
प्रभु  की ही  देन  है।

मत जाना पहले तुम जहाँ से
बिना  किश्त उतार के।।

रचयिता।।।।एस के कपूर श्री
हंस।।।।।।।।बरेली।।।।।।।।।

दिनांक 30/10/2017

मो• 9897071046
8218685464 

[10/30, 17:36] विश्वेश्वर शास्त्री: नाम-   विश्वेश्वर शास्त्री
                    "वशेष"
    पिता का नाम - श्री मैयादीन 
माता का नाम - श्रीमती कलावती,
जन्मतिथि - 25 - 05 -1971
मोबाइल नं. -9452574011
शिक्षा - एम.ए. ( हिन्दी , संस्कृत) बी.एड. साहित्याचार्य,
कार्य -प्रधानाध्यापक
         स्वामी मधुवनदास त्यागी पू.मा. विधालय राठ,(प्राइवेट)
स्थाई पता - अतरौलिया राठ हमीरपुर उ.प्र.

      साहित्य , संगीत ,कला ,काव्य, ज्योतिष, का संगम मुझे अपने पिता श्री के चरणों में धरोहर के रूप में प्राप्त हुआ है !!
काव्य की और मेरी रुचि वाल्यकाल से ही रही -
3 फरवरी1998 को 270नज्मों  का "इश्कनामा"नामक संग्रह पूर्ण हुआ |
29 मार्च 1999 में बृजभाषा में  225 कृष्णभक्ति पदों का संकलन "विश्वेश्वर वेदना " के नाम से पूर्ण हुआ|
राठ से संपादित छतरपुर से मुद्रित साप्ताहिक समाचार पत्र
"बुन्देलखंड केशरी " में अनवरत समसामयिक कवितायें प्रकाशित हो रहीं हैं,
जिन से स्थानीय स्तर पर लोक प्रियता एवं पहचान मिली|
यथा समयक्षेत्रीय कवि सम्मेलनों साहित्य सम्मेलनो में
भी सहभाग सेवा यथा समय देता रहता हूँ|
खडी बोली में "काव्य सुधा " नामक संग्रह में एक सौ से अधिक रचनायें समायोजित कर सका हूँ |
गत रक्षाबंधन की पूर्णमा से बुन्देली में लिखीं चौकडिया फागों का व्यवस्थित संकलन
" फाग मंजरी" के नाम से पूर्ण करने के लिये प्रयास रत हूँ |

              
      "विश्वेश्वर शास्त्री "विशेष"
[10/30, 17:37] विश्वेश्वर शास्त्री:            
         मनहरण छंद
चार चरण प्रति चरण ३१ वर्ण , ८,८,८,७, पर यति अंत में लघु गुरु ||
*******************
          * बसंत *
          *******
फूल रही है सरसों,   
   आमन में आये बौर,
      अलिबृन्द धौर धौर,
              गुन गावन लगे |
ललित प्रतान पत्र,
  धवल नवीन भये,
    बरु लतिकन जाल,
           अरुझावन लगे |
त्रिविध समीर शुभ,
   शीतल सुखद छाँव ,
      मधुर सुधा सी पिक,
               बरसावन लगे |
"विश्वेश्वर" वन में हू,
    बागन - बगीचन में,
        बगरे बसंत सखि,
            याद आवन लगे ||

बहत बयार बरु,
   शीतल सुगंध मंद,
       कोयल अनंद भर,
           फिर गावन लगे |
आमन में झूलें बोर,
    अलिवृंद करें शोर,
       नंद के किशोर फिर,
             याद आवन लगे |
पुष्पन सुअंग साज,
    राजत विटप राज,
        बगरे बसंत आज,
             मन भावन लगे |
प्रकृति बसंत रंग,
   सजी आज अंग अंग,
    " विश्वेश्वर" अनंग हू,
           उर आवन लगे ||
     
     मत्तगयंद सवैया छंद
शिल्प -- सात भगण (Sll)दो गुरु (SS)
********************
आय गये दिन फागुन के सखि-
       कंत हमें विसराय दयो है |
सीतल मंद सुगंध समीरहु-
       अंग अनंग बढाय रह्यो है |
गूँजत हैं अलि आमन में-
    अरु रंग बसंतहु छाय गयो है |
प्रान हमार तु लेवन को-
    अबआज बसंतहु आय गयो है ||

विश्वेश्वर शास्त्री "विशेष"✍🏻

[10/30, 17:37] विश्वेश्वर शास्त्री:
पत्र व्यवहर का पता -
   विश्वेश्वर शास्त्री "विशेष"
           प्रधानाध्यापक
स्वामी मधुवनदास त्यागी विद्यालय चरखारी रोड राठ
जिला - हमीरपुर उ.प्र.
पिन -- 210431
******************
            (2)
विश्वेश्वर शास्त्री "विशेष"
अंखडमंदिर, डिग्रीकाँलेज
के पीछे ,नौहाई रोड
अतरौलिया राठ ,
हमीरपुर (उ.प्र.)
[10/30, 17:54] विश्वेश्वर शास्त्री: शपथ पत्र
मैं सपथ पूर्वक प्रमाणित करता हूँ ,उपरोक्त रचनायें
स्वरचित पूर्ण मौलिक हैं,
इसके पहले किसी पत्र पत्रिका से प्रकाशित नहीं हुयीं हैं |
      
        विश्वेश्वर शास्त्री "विशेष"

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वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही है ५. ओष्ठ~ ये जानते ही हैं   ६. कंठतालु~ कंठ व तालु एक साथ ७. कंठौष्ठ~ कंठ व ओष्ठ ८. दन्तौष्ठ ~ दाँत व ओष्ठ अब क्रमश: ~ १. कंठ ~ अ-आ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ङ), अ: (विसर्ग) , ह = कुल ९ (नौ) वर्ण कंठ से बोले जाते हैं | २. तालु ~ इ-ई, च वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ) य, श = ९ (नौ) वर्ण ३. मूर्धा ~ ऋ, ट वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण), र , ष =८ (आठ) वर्ण ४. दन्त ~ त वर्ग (त, थ, द, ध, न) ल, स = ७ (सात) वर्ण ५. ओष्ठ ~ उ-ऊ, प वर्ग (प, फ, ब, भ, म)  =७ (सात) वर्ण ६. कंठतालु ~ ए-ऐ = २ (दो) वर्ण ७. कंठौष्ठ ~ ओ-औ = २ (दो) वर्ण ८. दंतौष्ठ ~ व = १ (एक) वर्ण इस प्रकार ये (४५) पैंतालीस वर्ण हुए ~ कंठ -९+ तालु-९+मूर्धा-८, दन्त-७+ओष्ठ-७+ कंठतालु-२+कंठौष्ठ-२+दंतौष्ठ-१= ४५ (पैंतालीस) और सभी वर्गों (क, च, ट, त, प की लाईन) के पंचम वर्ण तो ऊपर की गणना में आ गए और *ये ही पंचम हल् (आधे) होने पर👇* नासिका\अनुस्वार वर्ण ~

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[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैसा खुले। उदाहरण  - *आ* ४. *अर्ध विवृत्त* - मुँह गोलाकार से कुछ कम खुले। उदाहरण - अ, ऐ,औ     🙏🏻 जय जय 🙏🏻 [20/03 23:13] अंजलि शीलू: *वर्ण माला कुल वर्ण = 52* *स्वर = 13* अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अब *व्यंजन = 37*         *मूल व्यंजन = 33* *(1) वर्गीय या स्पर्श वर्ण व्यंजन -*    क ख ग घ ङ    च छ ज झ ञ    ट ठ ड ढ ण    त थ द ध न    प फ ब भ म      *25* *(2) अन्तस्थ व्यंजन-*      य, र,  ल,  व  =  4 *(3) ऊष्म व्यंजन-*      श, ष, स, ह =  4   *(4) संयुक्त व्यंजन-*         क्ष, त्र, ज्ञ, श्र = 4 कुल व्यंजन  = 37    *(5) उक्षिप्त/ ताड़नजात-*         ड़,  ढ़         13 + 25+ 4 + 4 + 4 + 2 = 52 कुल [20/03 23:14] अंजलि शीलू: कल की कक्षा में जो पढ़ा - प्रश्न - भाषा क्या है? उत्तर -भाषा एक माध्यम है | प्रश्न -भाषा किसका

तत्सम शब्द

उत्पत्ति\ जन्म के आधार पर शब्द  चार  प्रकार के हैं ~ १. तत्सम २. तद्भव ३. देशज ४. विदेशज [1] तत्सम-शब्द परिभाषा ~ किसी भाषा की मूल भाषा के ऐसे शब्द जो उस भाषा में प्रचलित हैं, तत्सम है | यानि कि  हिन्दी की मूल भाषा - संस्कृत तो संस्कृत के ऐसे शब्द जो उसी रूप में हिन्दी में (हिन्दी की परंपरा पर) प्रचलित हैं, तत्सम हुए | जैसे ~ पाग, कपोत, पीत, नव, पर्ण, कृष्ण... इत्यादि| 👇पहचान ~ (1) नियम ~ एक जिन शब्दों में किसी संयुक्त वर्ण (संयुक्ताक्षर) का प्रयोग हो, वह शब्द सामान्यत: तत्सम होता है | वर्णमाला में भले ही मानक रूप से ४ संयुक्ताक्षर (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र) हैं, परन्तु और भी संयु्क्ताक्षर(संयुक्त वर्ण)बनते हैं ~ द्ध, द्व, ह्न, ह्म, त्त, क्त....इत्यादि | जैसे ~ कक्षा, त्रय, ज्ञात, विज्ञान, चिह्न, हृदय, अद्भुत, ह्रास, मुक्तक, त्रिशूल, क्षत्रिय, अक्षत, जावित्री, श्रुति, यज्ञ, श्रवण, इत्यादि | (2) नियम दो ~👇 जिन शब्दों में किसी अर्घाक्षर (आधा वर्ण, किन्तु एक जगह पर एक ही वर्ण हो आधा) का प्रयोग हो, वे शब्द सामान्यत: तत्सम होते हैं | जैसे ~ तत्सम, वत्स, ज्योत, न्याय, व्य