भगत जी की सूक्तियाँ

🙏
   सूक्ति~
🌸🌸🌸

०१. परहित में निज वार |

०२. तज स्वारथ की डोर |

०३. उड़ना ज़रूर , पर जड़ मत छोड़ |

०४. कहने से करना श्रेष्ठ है |

०५. वाणी ही वरदान है, वाणी ही अभिशाप |

०६. अपनी जरूरतें कम रखो, सुख बढ़ेगा |

०७. लेना नहीं, देना सीखो |

०८. त्याग में जो सुख है, वह प्राप्ति में दुर्लभ है |

०९. शब्द ईश का रूप है |

१०. मौन मृत्यु का प्रतीक है |

११. दु:ख आनंद से डरते हैं |

१२. गार्हस्थ्य में निर्लिप्तता ही ईशत्व है |

१३. वीरह प्रेम का स्नेहक है |

१४. मैं नहीं, तू में; सुख बसता है |

१५. पाने को बहुत कुछ है, खोने को बस काल |

१६. कण में मण की अनुभूति ही सं-ज्ञान है |

१७. यूँ रहे , ज्यूँ आज ही जाना हो |

१८. अच्छा न बन सको तो बुराइयाँ त्यागने लगो, अच्छे हो ही जाओगे |

१९. समय का दोहन करो |

२०. अधर पर मंदस्मित हो |

२१. देखें तो बस गुण ही देंखे, दोष छिपे न जग में |

🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
©भगत

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