[11/14, 21:58] बृजमोहन साथी जी: मुक्तक
बहर -221,2122,221,2122
कैसी है प्रीत दिलवर , रहती हो दूर मुझसे ।
पूछे है आज साथी , कैसा कसूर मुझसे ।।
अखियाँ तुझे निहारे , देखे नही पलटकर ।
दिल ये कसक रहा है , क्यो दूर नूर मुझसे ।।
💙💙💙💙80❤❤❤💙💙
कवि बृजमोहन "साथी"डबरा
[11/14, 21:58] बृजमोहन साथी जी: गीत
मापनी-16,14
प्रेम हुआ है जबसे मुझको ,
खोया खोया रहता हूँ ।
दिल में आज हिलोर उठे है ,
गाकर सबसे कहता हूँ ।।
प्रेम हुआ........................
जिस दिन से देखा है तुझको,
आँखे राह तके तेरी ।
धड़कन रुक रुक कर चलती है ,
साँसे आह भरे तेरी ।।
अजब कसक दिल में है उठती ,
पीर प्यार से सहता हूँ ।
प्रेम हुआ.................।।
चाँद लगे रातो में सूना ,
बदरी पागल रहती है ।
रातो में बारिश की बूंदे ,
प्रेम कहानी कहती है ।।
बन जाओ साँसो में खुसबू,
तुमसे यार महकता हूँ ।
प्रेम हुआ...............।।
मुझसे दूर कभी मत होना ,
तुम ही मेरी आशा हो ।
दिल में प्रेम बसाया मेने ,
उसकी तुम परिभाषा हो ।।
तुमको ही चाहा है मेने ,
सारे जग से कहता हूँ ।
प्रेम हुआ..................।।
मिलन हमारा पावन कर दो,
साथी आज तरसता है ।
प्यार में बुत हो जाऊँ कही ना,
तन मन हिम सा जमता है ।।
शब्द बनी हो कविता में तुम,
स्वर में तेरे बहता हूँ ।
प्रेम हुआ......................
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कवि बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी"
डबरा मो.99813061
[11/14, 21:58] बृजमोहन साथी जी:
नाम -बृजमोहन श्रीवास्तव"साथी"
पिता का नाम- श्री राधाकृष्ण श्रीवास्तव
निवासी - वार्ड न.25 मोती अपार्टमेंट के बगल में ठाकुर बाबा रोड़ डबरा जिला ग्वालियर म.प्र.
मो. 9981013061
शिक्षा-बी काँम ,एम. काँम. एल. एल. बी.
लेख़न - हर विधा में लिखना
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