पैसे के व्यापारी(नवगीत)
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कभी गाँव में
कभी नगर में
भटक रही लाचारी
श्रम के हिस्से
रोज पसीना
लाल हुयी हैं आँखे
सदा कटी हैं
नभ में उड़तीं
चिड़ियों की ही पाँखें
चाट रही
तलवार रक्त को
बनकर अत्याचारी
नहीं बुझाना
चाहे घर भी
जलती आग दुवारे
भाईचारा
दफन हो गया
दिल में पड़ी दरारें
खट्टे हुये सभी
अब रिश्ते
लगते हैं बाजारी
दिया समय ने
अंतर्मन को
घाव बड़ा ही गहरा
बोल सके ना
सच्चाई मुख
लगा होंठ पर पहरा
बेच रहे हैं
संबंधों को
पैसे के व्यापारी
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योगेन्द्र प्रताप मौर्य
💎💎मौलिकता प्रमाण पत्र💎💎
मैं ये घोषणा करता/करती हूँ कि पत्रिका जय जय हिन्दी विशेषांक में प्रकाशन हेतु भेजी गई रचना स्वरचित, अभी तक अप्रकाशित तथा जीवन परिचय में दी गई समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है, असत्य पाये जाने की दशा में हम स्वयं जिम्मेदार होंगें।
12-11-2017 योगेन्द्र प्रताप मौर्य
दिनांक- रचनाकार का नाम
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जीवन परिचय
1-रचनाकार का पूरा नाम-योगेन्द्र प्रताप मौर्य
2-पिता का नाम-स्व.माधव प्रसाद मौर्य
3-माता का नाम-श्रीमती अभिराजी देवी
4-पति/पत्नी का नाम-श्रीमती अनीता मौर्या
5-वर्तमान / स्थाई पता-
ग्राम-बरसठी,पोस्ट-बरसठी,जिला-जौनपुर, पिनकोड-222162,उ.प्र.
6-मोब.नं./ वाट्स एप नं./ई मेल-9454931667/8400332294/yogendramaurya198384@gmail.com
7-शिक्षा-B.Sc. B.Ed.
8-जन्म स्थान-उत्तर प्रदेश
9-व्यवसाय-अध्यापन
10-प्रकाशन विवरण-एक पुस्तक"सूरज चाचा हाय हाय(इक्यावन बाल कविताएँ)
11-सम्मान विवरण (यदि हो तो)-पंडित प्रताप नारायण मिश्र युवा साहित्यकार सम्मान
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