बेबसी

💐बेबसी💐

एक वो बेबसी थी
कब से था इन्तजार
कहाँ  हम  जन्में
उम्मीदों का संसार।। 

एक वो बेबसी थी
हम  थे नादान
सिखते थे चलना
फिर फिर गिर जाते थे
उठकर फिर चलना
चलते जाना चलते जाना
रिश्ते निभाना माँ से सीखा।।

एक बेबसी तब समझ आई
जब हुई समाज में पिसाई
कर लो लिखाई पढ़ाई
तब कहीं होगी कमाई
समझ न आता
बेबसी का कर्म
इसी में छुपा है
जीवन का मर्म।।

एक बेबसी जिसमें
प्यार की आवाज
चाहत को पाने का आगाज
वाह रे ईश्वर की मिताई
मोहब्बत की लड़ाई
अपनों से ही करवाई
रिश्ता लगा पुराना ही सच्चा
विश्वास हो पक्का
तो सब कुछ अच्छा।।

ये प्यार तो अक्सर
होता है  धोखा
वफा का  बहाना
दिल  है  झूठा
इस बेबसी से
अल्ला बचाये
सच्चा हो मीत या
सब छूट जाये।।

बेबसी के रिश्तें
अपेक्षा की किश्तें
मिट जाये स्वार्थ
सरल हो  रस्तें
मरने का भय
जीने की बेबसी
कर्मो की कतार
जीने का आधार
बेचैनी   हटाये
जीवन सकल बनाये।।  

डाॅ• राहुल शुक्ल  साहिल

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार