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12 जून 2017 भव्य काव्य सम्मेलन की यादगार दिलीप कुमार पाठक सरस जी द्वारा

जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति, पंजी0 सं0-226

द्वारा आयोजित

प्रथम ऑनलाइन भव्य काव्य सम्मेलन(12 जून 2017) की यादें  

माँ शारदे के साधक-पुत्रों/पुत्रियों के सर्जन की झंकार पटल पर गुंजित हो ऐसा मन में भाव आया, पर कैसे हो ? इस प्रश्न ने कुछ करने को प्रेरित किया|
सबसे पहले मैं  भगत सहिष्णु दादा श्री से मिला और मन की बात उनसे की, सुनकर बहुत प्रसन्न हुए, गदगद होते हुए मुझे पूरी रूपरेखा समझायी हालाँकि 19 जून 2017 तक बहुत व्यस्त हैं फिर भी पूरी निष्ठा लगन से मार्गदर्शक बने|

फिर क्या था योजनानुसार कार्य प्रारम्भ हुआ|
मैने सर्वप्रथम यह बात आ0डॉ0 राहुल शुक्ल साहिल दादा श्री को सारी योजना बतायी,वह भी लग गये पूरी कार्य ऊर्जा के साथ, वह न तो स्वयं चैन से बैठे और न मुझे चैन से बैठने दिया|रोज फोन पर बात करते, जितना कार्य होता पूरा कर देते, आगे की कार्ययोजना की जानकारी लेते, कार्यक्रम की सफलता का श्रेय आपको ही जाता है|
प्रिय अनुज विकास भारद्वाज सुदीप जी आगे बढ़कर आये, नाम, पता, फोटो, ऑडियो प्रतिभागियों के लेने हेतु सूची तैयार कर पटल पर पहुँचाया, ऑडियो संकलन का कार्य प्रारम्भ हुआ | देखते ही देखते प्रतिभागी सूची पर नाम सुसज्जित होने लगे| विकास जी ने सुन्दर सा बैनर बना प्रचार प्रारम्भ किया|
प्रिय अनुज नमन जैन अद्वितीय जी ने तो कमाल ही कर दिया,मैने कहा बेटा नमन प्रतिभागी साथियों के फोटो की डी पी होनी चाहिए| देखते ही देखते नमन जी ने आकर्षक डी पी बना दीं| नमन भाई आप ऊर्जा पुंज हैं|
मुझे गर्व है प्रिय अनुज नमन जी और विकास जी पर, दोनों भाई मेरे हाथ बन गये|
कार्यक्रम की रूपरेखा साहिल दादा ने बनायी|
प्रिय अनुज सुमित शर्मा पीयूष जी का कहना ही क्या, एक और आकर्षित बैनर बना डाला, संचालन सँभाला,  बधाई प्रशस्ति  पत्र  की जितनी प्रशंसा करूँ कम है,जबकि व्यक्तिगत रूप से काफी मानसिक तनाव में थे सुमित भाई पर पूरे परिश्रम से इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए और कार्यक्रम सफल बनाया, आप समिति के अलंकरण प्रमुख को हैं ही पर प्रेरणास्रोत भी हैं हमारे|
दृढ़ संकल्पित प्रिय अनुज  आशीष पाण्डेय जिद्दी जी कार्यक्रम में शामिल होकर चार चाँद लगा दिये, आपका संचालन देख मैं फूला न समा रहा था |मैं कर्जदार हूँ आपके इतने सारे स्नेह व सम्मान का|
सबसे सुरीले स्वर की साधिका लिटिल एकता जी का प्रयास भी बहुत सराहनीय रहा, डीपी की वीडियो, वंदना की वीडियो बनायी और नमन जी को वीडियो बनाना सिखाया| नमन की प्रथम डी पी वीडियो स्वर सम्राट प्रिय अनुज सुमित पीयूष के स्वर में वंदेमातरम् पर आधारित है|
आ0शैलेन्द्र खरे सोम दादा का समय समय पर मार्गदर्शन मिलता रहा| कार्यक्रम की अध्यक्षता कर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ायी|
मुख्य अतिथि के रूप में आ0रामकृष्ण सहस्रवुद्धे दादाश्री का आशीर्वाद मिला, जो कार्यक्रम में प्राण फूंक गया|

विशिष्ट अतिथि आ0 जागेश्वर प्रसाद निर्मल दादाश्री के सस्वर वेदमंत्रों एवं उनके भावार्थ के साथ भव्य ऑनलाइन काव्य सम्मेलन का शुभारम्भ हुआ, तत्पश्चात एकता भारती जी की सस्वर माँ शारदे की वंदना के साथ शानदार तरीके से सस्वर एक एक प्रतिभागी की प्रस्तुति कार्यक्रम में जान डालकर चली गयी|अंत में अतिथि प्रतिभागियों की प्रस्तुति ने कार्यक्रम को अलंकृत किया |अतिथि प्रतिभागी प्रिय भाई अनमोल तिवारी कान्हा जी की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया, जो कि काव्य सम्मेलन को भव्य बना गयी| संचालन में सहायक भूमिका प्रिय भाई भूपधर अलबेला जी की बेमिसाल रही|
आ0नित्यानंद पाण्डेय मधुर दादा ने व्यस्तता के चलते भी अपना पूरा समय दिया जिसे विस्मृत नहीं किया जा सकता|
प्रिय अनुज जितेन्द्र चौहान दिव्य जी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोगी भूमिका निभाते हुए पूरा जोश भरा, पूरा समय दिया|
कार्यक्रम के अंत में विशिष्ट उद्बोधक आ0भगत सहिष्णु जी के विशेष उद्बोधन ने कार्यक्रम को उच्च शिखर पर पहुँचाया| प्रेरणाप्रद उद्बोधन आपका साहित्यिक ऊर्जा का संचार कर रहा है |
काव्य सम्मेलन की सफलता सुधी श्रोता बने जिन्हें हम कभी भुला नहीं सकते|इस कार्यक्रम में उपस्थित एक एक साथी को नमन वंदन अभिनंदन|
हौसलाअफजाई करने वाले साथियों की बदौलत ही यह कार्यक्रम सफलता की ओर बढ़ता  चला गया,  इसमें रंचमात्र भी संदेह नहीं| मैं सादर प्रणाम करता हूँ कार्यक्रम में उपस्थित एक एक साथी का, जिनका नाम यहाँ न लिख पाया, उनको कोटिशः नमन व धन्यवाद| आप सभी साथियों का आभारी हूँ| प्रत्येक प्रकार की भूल के लिए बच्चा समझ आप सभी साथी क्षमा करेंगे, मुझे पूरा विश्वास है| आप सभी का सानिध्य नेह आशीष हमेशा बना रहेगा, मुझे यह विश्वास है| कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुझसे जो भी भी त्रुटि हुई हो, अपना अनुज समझ क्षमा करना|
वंदेमातरम् के साथ कार्यक्रम सम्पन्न|
क्षमा याचना के साथ 🌹🙏🏻🌹
काव्य सम्मेलन संचालक
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दिलीप कुमार पाठक " सरस "

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