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🙏🏻 हृदयोपहारानुभूति 🙏🏻
स्नेहिल शब्द-सारथियों,
यह माँ वरदा वीणापाणि की विशेषातिविशेष कृपा ही है, कि साहित्य-जगत में अकथनीय विषमताओं के बाद भी आज आप-हम एक मंच पर एकत्र आये हैं | इहेतुक जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति नामक यह पटल और इस वरदा-कल्पवृक्षेव तथागति के सुधि मूल त: पत्र-पुष्प, फलादि पर्यन्त सर्वथा महाकुशासुत गुणिजन साधुवाद के पात्र हैं |
मित्रों, आज यह पटल आभासी दुनियां में सद्यस्प्रसूत कहा जा सकता है, परन्तु यथार्थ के धरातल पर यह उत्तरप्रदेश की पावन-भूमि पर पीलीभीत जनपदान्तर्गत "बीसलपुर नामाख्य साहित्य-कुँज में २१ जून १०१६ को पंजि० क्र० २२६ में" पंजिकृत होकर साहित्योन्नयन में सर्वस्व-समर्पित और पुष्पित-पल्लवित हुआ है | यह हमारा सौभाग्य ही है, कि हम इस *कविता-कौमुदी कल्पलता की काव्यच्छाया में मूर्तिमन्त हैं |
साथियों, विगत कुछ समय से हिन्दी के साहित्यिक नवसर्जन में तकनीकी उपकरणों से कलमकारों की लेखनी में अल्पकाल में ही आशातीत निखार आया है | आज मल्टीमीडिया के माध्यम से हमें तत्काल ही स्वयं की रचनाओं पर प्रोत्साहन, आलोचना, टिप्पणी, समीक्षादि प्राप्त हो जाती हैं और हम वहीं अवलोकन कर संशोधन\संवर्धन भी कर लेते हैं | हमें यह कहना ही नहीं बल्कि मन से स्वीकारना होगा कि यह सब बिना तकनीकी के कल तक तो निश्चित ही असम्भव व कल्पनातीत था । विशेषकर, आज घरेलू व कामकाजी महिलाओं एवं युवा वर्ग के समक्ष अपनी लेखन क्षमता दिखाने एवं प्रसिद्धि पाने के अनेक अवसर तकनीकीयुगीन मुक्त मीडिया ने ही उपलब्ध करवाये हैं।
श्रेयष्करों, आप सभी सुधि साहित्यकार जानते हैं कि साहित्य, हमारे जीवन के उतार-चढ़ाव को सहने व इसे सहज, सरल, सकल व सार्थक तरीके से जी लेने में भी मन:स्थिति को विकसित करता है और चिन्ताओं को दूर कर उच्च साहित्यिकतायुक्त सामाजिक, वैश्विक, राजनीतिक व आत्मिक ज्ञान के साथ अन्यान्य पक्षों की ओर अग्रेषित करता है। यूँ कहें तो अन्यथा न होगा कि एक साहित्यकार की आत्मा का सम्बन्ध दूसरे साहित्यकार की निश्छल आत्मा से ही होता है।
कृपाकरों, कुछ ऐसी ही भावनाओं को लेकर हृदयापूत सम्बन्धों और ज्ञान-शिखर को स्थिरानुभव व जीवन्त करने की महत्त्वाकांक्षा के साथ साहित्यिक समूह "जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति, पंजि० २२६" को आप सबके साथ आभासी दुनियां में जीवन्त साझा किया गया है |
साहित्य-सुधियों, कहना यह है कि यह आभासी दुनियां का पटल मात्र न होकर ज़मीनी स्तर पर कार्यशील पंजिकृत संस्था का उपागम है | आज यह संस्था तकनीकी से कदम मिलाते हुये दो साहित्यिक पटलों (क्रमश: मुख्य पटल व सोम छन्दशाला) का संचालन कर रही है | यथाशीघ्र ही दो अन्य प्रकल्प (क्रमश: व्याकरणशाला व ग़ज़लशाला) भी उदीयमान होने हैं | और यहीं साहित्यिक महायज्ञ की परिणति नहीं है, बल्कि आने वाला समय अन्यान्य नवाचारों व प्रकल्पों का सुस्थापक होगा | जहाँ आप सब इस संस्था के विविध प्रासाद रुपी प्रकल्पों के नक्षत्र इव दैदिप्यमान गौरव होंगे, आप सब इसकी भव्य अट्टालिकाओं की स्वर्णाभ जीवन्तताएँ होंगे और आप ही इसके कर्णधार होने हैं |
गुरुगौरवान्वितों, कहना बहुत है; पर कहने से कर दिखाना अधिक श्रेष्ठ व यशदा होता है , अत: आप सब संबल बनकर साथ रहें | जिस प्रकार भी इस महासंचयन\महासर्जन में योगदान दे सकते हैं , दीजिए | आप स्वयं स्वजीवनोन्नयन व गौरवानुभव करेंगे ; आपके कृतित्व की यश:पताका आपको ही समर्पित होगी, इहेतुक अकिंचन की यह सशपथ वचनबद्धता है |
अन्तत: संस्था की ओर से आप सबको आज के इन गौरवशाली पलों के साक्षी होने का अनन्त साधुवाद😊🙏😊 | और सतत सहयोग व मार्गदर्शन की अपेक्षा के साथ अपनी वाचालता को मुखरता की पराकाष्ठा पर🙏 क्षमापना के साथ विराम देता हूँ |
🙏🙏🙏🙏🙏
विद्वत्समाज अकिंचन का यथायोग्य अभिवादन अङ्गीकार कर कृतार्थ करे |
आपका
✍भगत 'सहिष्णु'
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