शील छन्द

◆शील छंद◆

विधान~
[ सगण सगण सगण लघु लघु ]
( 112   112  112  1   1)
11वर्ण,4 चरण,
दो-दो चरण समतुकांत]

जग के करुणाकर तारक।
सबके शुभ पालनहारक।।
पथ के हटते सब कंकर।।
तम को हरते प्रभु शंकर।।

मन में बसते सुख दायक।
जग में सच हैं पथनायक।।
भजिये उनका सब वंदन।
शिव शंकर का अभिनन्दन।।

  डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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