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पंक्ति छन्द और पंचमगति छन्द

             पंक्ति छन्द
(भगण+गुरु+गुरु, ५ वर्ण, ४ चरण, २-२ चरण समतुकान्त)
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁

मीत मिलाओ।
जीत दिलाओ।।
गीत सुनाओ।
सोहर गाओ।।

राग बनाओ।
पर्व मनाओ।।
हो तुम मेरे।
है सुख घेरे।।

नाथ  सहारा।
साथ तिहारा।।
सागर सारा।
जीवन धारा।।

✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

       ★ पंक्ति छन्द ★
(भगण+गुरु+गुरु, ५ वर्ण, ४ चरण, २-२ चरण समतुकान्त)
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁

शाम सुहानी।
प्रेम  कहानी।।
याद दिवानी।
धार जवानी।।

है  मन कामी।
तू सहगामी।।
है मधु वानी।
तू मन रानी।।

✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

⚜🍁🍁🍁 🍁🍁🍁 🍁🍁⚜
  विधा    ♤पंचमगति छंद♤

शिल्प~ [भगण जगण गुरु]
(211   121  2) 7वर्ण प्रति चरण,
4 चरण, 2-2 चरण समतुकांत। 

नैनन निहारिये।
बैंनन पुकारिये।।
सुंदर   सुहावने।
मोहन लुभावने।। 
          ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

⚜🍁🍁🍁🍁🍁⚜
विधा ◆पंचमगति छंद◆
शिल्प~ [भगण जगण गुरु]
(211   121  2) 7वर्ण प्रति चरण,
4 चरण, 2-2 चरण समतुकांत।

वंदन करूँ सदा।
जीवन रहें मुदा।।
राम गुन साथ हो।
दास पर हाथ हो।। 

डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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