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12 जून काव्य सम्मेलन की यादें (साहिल)


  जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति पंजीकरण संख्या  226

    स्नेही साहित्यप्रेमी एवं कलमवर,

  प्रथम आनलाइन  काव्य सम्मेलन १२ जून २०१७ दिन सोमवार को जनचेतना मंच पर आयोजित काव्य सम्मेलन आयोजन को अद्भुत और भव्य बनाने के लिए जनचेतना परिवार के प्रमुख सदस्य अपने अपने कार्यो में लगे थे परन्तु गति बहुत धीमी थी, चिन्ता बहुत थी, कार्यक्रम प्रारुप मैने किसी तरह बना दिया, पहली बार बनाया था, आंशिक संशोधनोपरान्त कार्यक्रम बन तीन  दिन पहले ही बन गया। उसके बाद भी काफी लोगों के ऑडियो परिचय आये सबको शामिल करने की भाई सरस जी की सोच थी तो करना तो था ही सबको शामिल 4:00 बजे से कार्यक्रम का संचालन शुरु हुआ। मैं अपनी होम्योपैथिक क्लीनिक पर ही बैठा था, घर जाने का समय 7:00 बजे तक था।
संचालन शुरु हुआ शानदार संचालन की शुरूआत प्रिय भाई दिलीप कुमार पाठक सरस जी ने की। मेरे पास में बीच बीच में मरीज भी आ रहे थे।
काव्य सम्मेलन के सारे ऑडियो परिचय और फोटो एक जगह मैने एकत्र कर दिये थे।
4:10 से मैने भी सरस भाई के शानदार संचालन में मदद शुरु हुई।
कब समय निकलता रहा एक के बाद एक शानदार प्रस्तुतियाँ आती रही।
हौसलाअफजाई और उत्साहवर्धन का सिलसिला जारी रहा। कब 9:30 हो गये पता न चला, मैं घर से 20 कि•मी• दूर था।
  जल्दी भागा घर की ओर तभी कुछ देर भाई सरस जी का फोन आया।

   बाइक रोककर बात की उन्होेंने कहा अब नये आगन्तुकों की प्रविष्टियाँ प्रेषित करनी है तुरन्त भेजिए, तुरन्त भेजकर फिर घर की ओर निकाला 10:20 पर घर पहुंचकर कर फिर लग गया कार्यक्रम में।
शानदार अद्वितीय कार्यक्रम रहा, अलंकरण के वीर प्रिय भाई  नमन, सुमित, विकास,लिटिल एकता जी का शानदार सहयोग रहा। आ• शैलेन्द्र खरे सोम दादा का बेहतरीन उद्बोधन, आ• रामकृष्ण दादा का अद्भुत उद्बोधन सराहना शुभकामनायें, आ• जागेश्वर दादा का सस्वर मंत्र पाठ अविस्मरणीय रहा। अंत में आ• भगत गुरु का लिखित और सस्वर उद्बोधन अविस्मरणीय एवं हृदयापूत कर देने वाला, अविवरणीय, निःशब्द कर देने वाला रहा।

  सफल कार्यक्रम की आप सभी को बधाई।

    जनचेतना का सद्भाव
    लिखें सदा मन भाव।

   डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

सरस धार में बह गया साहिल ही बेचारा,
सरस पीयूष की धार है, नमन करो मिल सारे
आज सोम व भगत ने भी हमारे कर हैं थामें,
अब विकास की आस हम रहेगें सदा थामें।
🌺🙏🏻  साहिल 🌹🌺

बीच-बीच में कानों में लगे श्रवण-यंत्र अलौकिक रसास्वादन दे रहे हैं |

अद्भुत 👌👌👏👏👏🙏
अप्रतिम 👌👌👏👏👏🙏
अद्वितीय 👌👌👏👏👏🙏
अनंतानंदानुभवीय👌👌👏👏👏🙏
अनिंद्य 👌👌👏👏👏🙏
अतीतोभविष्योद्घाटक👌👏👏👏🙏
अजस्रोद्घाटनीयक
👌👌👏👏👏🙏
  अवंचनीय👌👌👏👏👏🙏
अपरानुभूतिपरक 👌👌👏👏👏🙏
अविस्मरणीय 👌👌👏👏👏🙏
अत्युत्तम 👌👌👏👏👏🙏
अलौकिकतायुत 👌👌👏👏👏🙏
अतुलनीय और अनन्तान्त अकारादि उपमानाधारित..... भगत 👌👌👌👌👌👌👌👌👌
👏👏👏👏👏👏👏👏👏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

🙏 जय-जय

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कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही है ५. ओष्ठ~ ये जानते ही हैं   ६. कंठतालु~ कंठ व तालु एक साथ ७. कंठौष्ठ~ कंठ व ओष्ठ ८. दन्तौष्ठ ~ दाँत व ओष्ठ अब क्रमश: ~ १. कंठ ~ अ-आ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ङ), अ: (विसर्ग) , ह = कुल ९ (नौ) वर्ण कंठ से बोले जाते हैं | २. तालु ~ इ-ई, च वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ) य, श = ९ (नौ) वर्ण ३. मूर्धा ~ ऋ, ट वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण), र , ष =८ (आठ) वर्ण ४. दन्त ~ त वर्ग (त, थ, द, ध, न) ल, स = ७ (सात) वर्ण ५. ओष्ठ ~ उ-ऊ, प वर्ग (प, फ, ब, भ, म)  =७ (सात) वर्ण ६. कंठतालु ~ ए-ऐ = २ (दो) वर्ण ७. कंठौष्ठ ~ ओ-औ = २ (दो) वर्ण ८. दंतौष्ठ ~ व = १ (एक) वर्ण इस प्रकार ये (४५) पैंतालीस वर्ण हुए ~ कंठ -९+ तालु-९+मूर्धा-८, दन्त-७+ओष्ठ-७+ कंठतालु-२+कंठौष्ठ-२+दंतौष्ठ-१= ४५ (पैंतालीस) और सभी वर्गों (क, च, ट, त, प की लाईन) के पंचम वर्ण तो ऊपर की गणना में आ गए और *ये ही पंचम हल् (आधे) होने पर👇* नासिका\अनुस्वार वर्ण ~

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