सतत सप्रेम से सद्भावना का साथ मिल जाए|
महका हुआ सा मधुर प्रियवर हाथ मिल जाए|
जिन्दगी कट तो रही स्वारथ के रिश्तों से,
स्नेह संग सजनी का प्यारा साथ मिल जाए|
व्यवहार की अभिव्यंजना अनुभव दिखाती है|
शतरंज के इस खेल को प्रीती निभाती है|
साहिल
जितना भी चाहता हूं, सब मिल ही जाता है, अब दुख किस बात का ॽ
सतत सप्रेम से सद्भावना का साथ मिल जाए|
महका हुआ सा मधुर प्रियवर हाथ मिल जाए|
जिन्दगी कट तो रही स्वारथ के रिश्तों से,
स्नेह संग सजनी का प्यारा साथ मिल जाए|
व्यवहार की अभिव्यंजना अनुभव दिखाती है|
शतरंज के इस खेल को प्रीती निभाती है|
साहिल
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