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पनघट (साहिल)

        गीत
       पनघट

प्रेम का दीप मन में जलाए चलो,
बाती आशा की इसमें लगाए चलो|

सूने पनघट पे प्यासे बुलाए चलो,
स्नेह सिंचन से उनको भिगाएं चलो|

किसी भूखे को रोटी, खिलाए चलो,
राह भटके हुए को,  दिखाए चलो|

पाठ सेवा का सबको पढ़ाए चलो,
भाग्य अपने करम से बनाएँ चलो|

दीप पनघट पे ऐसा जलाते चलो,
प्यास सारे मनुज की बुझाते चलो|

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

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