तुम मेरे शब्दों की प्रेरना हो,
अन्तः स्थल की वेदना हो|
तुम मेरी कविताओं का आधार हो,
मन का विचार हो, जीवन का सार हो,
प्रेम का प्रकार हो, हृदय का आकार हो,
जल सी निर्विकार हो, गले का हार हो,
सकल सहकार हो, रूह की पुकार हो|
डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
27/05/2018
11:50 रात्रि
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