तिलका छंद
शिल्प:- सगण सगण(112 112)
[दो-दो चरण तुकांत, 6 वर्ण]
सुर साज सजा|
लय ताल बजा||
अब तो सज ले|
प्रिय को भज ले||
चल संग चले|
लग जाय गले||
रजनी चमके|
सजनी दमके||
बहके तन को|
सँभले मन को||
सुख चैन मिले|
सत रैन मिले||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
तिलका छंद
शिल्प:- सगण सगण(112 112)
[दो-दो चरण तुकांत, 6 वर्ण]
माँ वरदा
वर दो जननी|
सुधरे करनी||
सत मात कहूँ|
नित माथ गहूँ||
वरदा तुम हो|
सफला तुम हो||
गुन की प्रतिमा|
तुम हो गरिमा||
दिन रात भजूँ|
मद काम तजूँ||
मन मोद भरूँ|
सत काम करूँ||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
तिलका छंद
विधान-सगण सगण
112 112
(दो दो चरण तुकांत, 6 वर्ण)
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मद को हर के|
मुद को भर के||
कटते दुख हो|
मन में सुख हो||
मिलते प्रभु जी|
जप लूँ विभु जी||
शुभ काम करूँ|
जग नाम करूँ||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
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