गीत
सकल भुवन अब भ्रष्ट हो रहा
विनय की कोई बात नहीं
जागों बहनों खड्ग उठाओं
रूधिर बहे कोई बात नहीं
भयकारी ज्वाला है मन में
अब उपचार जरुरी है
अतल में डूबे देश हमारा
यह व्यवहार जरुरी है
नाम मिटा दे गद्दारों का
मिट जाये कोई बात नहीं
जागों बहनों--------------------------
वसुधा देखों काँप रही है
बेटी के खो जाने से
दीन दृष्टि कर देख रही है
मर्यादा लूट जाने से
बेटे ने माँँ-बहन छला है
छोटी है कोई बात नहीं
जागों बहनों----------------------------
आँख से मेरे बहते आँसू
क्यूं रिश्ता ये ढोती हुँ
रक्षक ही भक्षक बन बैठा
सोच यहीं मैं रोती हुँ
बची नहीं है सहन शीलता
दया की कोई बात नही
जागों बहनों--------------------------------
गगन उपाध्याय"नैना"
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