पंकजवाटिका छन्द
विधान~
[ भगण नगण जगण जगण+लघु]
(211 111 121 121 1)
13 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत
सोहत नयन निखारत सूरत।
मोहक बदन निहारत मूरत।।
चंदन सरस सुगंध बिखेरत।
वंदन सकल महेश उकेरत।।
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
🌺पंकजवाटिका🌺
विधान~ [भगण नगण जगण जगण+लघु]
(211 111 121 121 1)
13 वर्ण, 4 चरण [दो-दो चरण समतुकांत]
राम सकल नित खोज रहा मन|
काम सुखद सत ओज दिखे तन||
सेवक बन मनु मान करो अब|
पावन गुन लय गान करो सब||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
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