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नरहरि/चन्द्रिका/इन्द्रिका/रसाल छन्द (साहिल)

   🌺 चन्द्रिका छंद 🌺

विधान-नगण नगण तगण तगण गुरु
(111 111 2   21 221  2)
दो दो चरण समतुकांत, 7, 6 यति।

सुखमय  नयना, रात तारा दिखे|
मधुरिम सजनी,बात प्यारी लिखे||
बरबस  मनवा, मोह  माया चुने|
प्रतिपल हियवा, प्रीत माला गुने||

©डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

    🌺इन्दिरा छंद🌺

विधान - [नगण रगण रगण + लघु गुरु]
111 212  212 12,
चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत

सकल राम का नाम जापिए|
सुगढ़  धर्म से काम नापिए||
मन विचार से शुद्ध रूप हो|
तन  बुहार लो धाम भूप हो||

परम सत्य  को मान लें जरा|
सकल भूमि पे जन्म लें मरा||
करम धर्म  को मान लीजिए|
जगत ईश का गान कीजिए||

   ©डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

   ∆ रसाल छंद ∆

विधान~
[भगण नगण जगण भगण जगण जगण+लघु]
(211  111  121  211  121 121  1)
19 वर्ण , 9 ,10 वर्णों पर यति ,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत

राघव   रघुपति  राम,  आप  सबके  दुख टारन।
हे जगपति  सुखधाम, नाथ  सब काज सँवारन।।
जापत सियहि समेत, दास   पद  पंकज चाकर।
गावत गुन गन नित्य,"सोम"निज शीश नवाकर।।

                                ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

     नरहरि-छंद
विधान - प्रतिचरण १९ मात्राएं, चरणांत १११२
यति - १૪,५ मात्रिक
[दो-दो चरण समतुकांत, चार चरण]

सबका होवे  जयकारा, जय कहें|
मिलकर हम सारे यूहीं, खुश  रहें||
ईश गुन मनभावन लिखें,मन कहे|
भावना हिय पावन सदा, सुख रहे||

©डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

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